कुल पृष्ठ दर्शन : 181

जीवन सत्य

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*******************************************************

सच्चाई की बात निराली,जीवन-सुमन खिलेंl
अपनेपन से कर्म सँवारो,मंगलगीत मिलेंll

करुणा का सागर छलकाओ,उर आनंदित होगा,
हर इक पल में खुशी मिलेगी,मन उल्लासित होगाl

पीर हरोगे यदि औरों की,धन्य करोगे जीवन,
चहक उठेगें तन-मन दोनों,महकेगा घर-आँगनl

मानव-सेवा,माधव-सेवा,यही धर्म सच्चा है,
कर्मकांड में जो है खोया,वह मानव कच्चा हैl

भौतिकता का मोह त्यागकर,आध्यात्म अपनाओ,
झूठ,कपट तज,अंतर्मन को पावन आज बनाओl

बुद्ध बनो,बन जाओ ईसा,टेरेसा-पथ जाओ,
महावीर-सा दिव्य बनो तुम,जीवन सफल बनाओl

जाग्रत करके निज विवेक को,मानव आज कहाओ,
काल का आना तय पहले से,कुछ तो करके जाओl

भाव जगाओ,नेह बढ़ाओ,ढाई आखर पा लो,
अपनेपन की मदिरा पी लो,नेहगान तुम गा लोl

नहीं अगर मेरे सीने में,आग जला लो तब तुम,
तेरा सीना भी धधकेगा भाव जगा लो जब तुमl

यही ज़रूरत है हम सबकी,आग कहीं भी धधके,
सीने में जब धधक बढ़ेगी,तब ही दुनिया फदकेl

आओ हम अब आग जला लें,सही दिशा में पग लें,
आग जलेगी,जग बदलेगा,नया जतन मिल कर लेंll

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।