माया मालवेंद्र बदेका
उज्जैन (मध्यप्रदेश)
*********************************
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….
भोली-भाली मीठी मनुहारी,
अपनी भाषा प्यारी हिन्दी।
उत्कृष्ट उत्कर्ष चरम पर सदा,
न्यारी अलबेली जैसे माथे की बिंदी।
एक अनूठा राग है इसमें,एक अलग पहचान,
हिन्दी राष्ट्रभाषा हमारी,हम सबका अभिमान।
हिंदुस्तानी हैं पहचान,हमारी भाषा हिन्दी,
भोली-भाली मीठी मनुहारी अपनी भाषा प्यारी हिन्दी।
हिमालय-सी अडिग,कभी न मिटने वाली,
पताका अपनी फहराती,ज्यूँ सूरज की लाली।
बोली देश में है अनेक,भाषा प्रथम है हिन्दी,
भोली-भाली मीठी मनुहारी,अपनी भाषा प्यारी हिन्दी।
हिमालय कहते तो,भारत का ऊँचा होता भाल,
सूर्य रवि सूरज को नमन करते लालिमा लाल।
कितने शब्दों से गढ़ती,हिन्दी साहित्य हमारा,
विविध भाषा में लिपटी,हिन्दी भाषा का रूप न्यारा।
विश्व में परचम छाया,बोली ने परिचय बताया,
हिन्दी से पहचाने जाते,हम हिन्दुस्तानी।
अलंकार उपमा से सज्जित,भाषा हमारी हिन्दी,
भोली-भाली मीठी मनुहारी,अपनी भाषा प्यारी हिन्दी॥