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भारती का श्रृंगार हिंदी

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….

भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी।
देश में सदभाव का आधार हिंदी॥

वेद से पैदा हुई है देव गण के वास जिसमें,
शान से बोलो लिखो सब छंद के परिभाष इसमें।
खास है सबके लिए उपहार है हिंदी,
भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी॥

पर्वतों में गूंजती है सिंधु लहरों में कसी है,
है मधुर वाणी रसीली हिन्द की नस-नस बसी है।
हिन्द रूपी नाव की पतवार है हिंदी,
भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी॥

विश्व को बंधुत्व का पैगाम देती आ रही है,
राष्ट्र के उत्थान को अंजाम देती आ रही है।
लोक का परलोक से व्यवहार है हिंदी,
भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी॥

राष्ट्रभाषा देश का अभिमान औ पहचान होती,
सत्य ये ‘हलधर’ न माने कौम वो सम्मान खोती।
एंग्लो के रोग का उपचार है हिंदी,
भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी॥

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