‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष……..

नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें,
कर्त्तव्य,राष्ट्र की प्रगति का,निर्वहन करें।
कर्म-ध्वजा संवाहक बन,बढ़ना होगा,
निज पद,स्वयं,मार्ग अपना गढ़ना होगा
शिथिल शिराएं ना हो,इनमें अगन भरें,
नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें…।
माँ के वसन,रक्त-रंजित करने वाले,
विश्वास भाव,छल से खण्डित करने वाले
भीतरघाती,उन सब दुष्टों का दमन करें,
नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें…।
आस्तीन के साँपों के,अब फन कुचलें,
मग में जितने कण्टक,सब पद-तल कुचलें
नेह सुधा का पान,घृणा-विष वमन करें,
नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें…।
समभाव रहे,सहकार रहे,सद्भाव रहे,
राष्ट्र प्रथम,सर्वदा प्रथम,का भाव रहे
विघटनकारी दावानल का शमन करें,
नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें…।
नारे बहुत लगाये,अब कुछ जतन करें,
कर्त्तव्य,राष्ट्र की प्रगति का,निर्वहन करें॥
परिचय–निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।