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यह कैसा विकास!

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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चारों ओर देखो आज यह कैसा विकास है,
अंधेरों में भी चल कर आगे बढ़ने की आस है।
नदी-नाले,जंगल को छोड़ कारखानों पर प्रयास है,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

खेत-खलिहानों पर अब न रही आस है,
बैठे-बैठे ही गगन छू लें,बस यही प्रयास है।
बनावटी फूलों में ढूंढता खुशबू का प्रयास है,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

माता-पिता को छोड़ पत्नी-साला ही खास है,
भाई-बंधुओं को छोड़ टीवी-मोबाइल से आस है।
गुरु ज्ञान से अधिक `गूगल बाबा` पर विश्वास है,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

नेता,राजा बनने में लगाता सभी कयास है,
जनता हित काट जेब भरने का प्रयास है।
ईमानदारी की यह रहने देते नहीं साँस है,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

भजन-कीर्तन अब पुराने जमाने की बात है,
त्याग परोपकार दयालुता रही ना अब साथ है।
हाय,बाय,हैलो को समझते सभी सौगात हैं,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

जिसके पास आज सबसे अधिक हथियार हैं,
सबको मार गिराने के लिए आज जो तैयार हैं।
विकसित समझता उसे ही आज संसार है,
चारों ओर देखो,आज यह कैसा विकास हैll

कहता `राजू` आपसे केवल एक प्रयास है,
अपनी संस्कृति में ही जीवन की आस है।
पूर्णतः इसी में छिपा सबका ही विकास है,
अन्यथा आगे दिखता विनाश ही विनाश हैll

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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