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भाषा बोलें प्रेम की

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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भाषा बोलें प्रेम की,बैरी बनते मीत।
प्रेम भाव सब में रहे,जग की हो यह रीत॥

भाषा कोई भी रहे,करें सभी सम्मान।
भाषा हिंदी देश की, हमको है अभिमान॥

भाषा ऐसी बोलिए,जो मन को ले जीत।
सत्य वचन हम बोलते,यही हमारी रीत॥

कड़वी भाषा छोड़ दें,मीठे-मीठे बोल।
पत्थर भी तो खिल उठे,बन जाये अनमोल॥

भाषा संस्कृत ही सभी,भाषाओं की जान।
हिंदी भाषा है बनी,भारत की पहचान॥

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।