ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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गूंज उठी वत्सल किलकारी,
खुशियों ने अवतार लिया है
छू लिया है नन्हें-नन्हें हाथों ने,
एक सुखद एहसास हुआ है।
मन के अंधेरे में हुआ उजाला,
हर आँगन गुलज़ार किया है
जीवन में जो खल रही कमी,
उसका भी निस्तार हुआ है।
कई वर्षों बाद मेरे आँगन में,
हँसता हुआ कमल खिला है
छंट गए सब गमों के बादल,
खुशियों भरा संसार हुआ है।
हर बगिया का कंवल शिशु है,
सबने अब ये ठान लिया है
जिस घर में नहीं शिशु आहट,
उसका जीवन बेकार हुआ है।
नव शिशु है भविष्य देश का,
सबने ये अब मान लिया है।
शिशु सुख निधान जगत में,
हर आँगन गुलज़ार हुआ है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।