श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************
जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)…
मैं भारत का रहने वाला, भारतीय मजदूर हूँ
हमारी लाचारी नहीं, पेट के लिए मजबूर हूँ।
भारत में मजदूरी का, कोई भी नहीं है नाम
राष्ट्र सिंहासन से, जूता सिलाई तक है काम।
मैं भारतीय, सिसर में कफ़न बाँध कर
जाता हूँ मजदूरी करने, आता हूँ रोटी लेकर।
मजदूरी करके जिसने भारत का खाया है अन्न,
उसी भारतीय पुत्र का भाग्य, हो गया धन्य।
क्यों कहते हो हमें, मजदूर हूंँ, मैं मजदूर हूँ,
हाँ मजदूर हूँ तो क्या हुआ, मजबूर नहीं हूँ।
मैं मजदूर, पापी पेट के लिए हल चलाता हूँ
बूढ़े, अंधे माता-पिता का, इलाज कराता हूँ।
मजदूरी करके बिटिया का, ब्याह रचाता हूँ,
यज्ञ-हवन, जप-तप मजदूरी से, पूर्ण कराता हूँ।
हम मजदूरों से प्रतिष्ठा, बनी है देश की,
मशीन चला कर सृजन करता हूँ भेष का।
मैं मानता हूँ मैं मजदूर हूँ, तुम मालिक हो,
तुम भी कभी मजदूर थे, आज मालिक हो।
किसी मजदूर को कष्ट हो तो, हाथ बंटाएंगे
एक-दूजे के दु:ख में, मिलकर साथ निभाएंगे।
आओ भारतीय मिल के, मजदूर दिवस मनाएंगे।
भारतीय मजदूर एकता का नारा लगाएंगे।
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |