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कांपती धरा की पुकार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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कांपती धरा की है पुकार,
मनुष्य कुछ तो करो विचार।

यह धरती पर एक आक्रमण है,
जनमानस की समस्याओं का
सबसे प्रमुख कारण है।

पृथ्वी नहीं सम्भाल पाएगी यह भार,
समस्त समुदाय पर है यह अत्याचार।

दुःख-दर्द, भूखमरी, बीमारी,
सब पर है यह प्रकोप दिखता है बड़ा भारी।

संसाधनों की कमी खूब है,
जनसंख्या नियंत्रण पर सरकारी प्रयास फिर भी शून्य है
हर पल हर क्षण समस्या ही समस्या है,
समस्या के निवारण पर बातचीत शून्य है।

मूर्खतापूर्ण व्यवहार आसमान पर है,
निदान पर बातचीत व समाधान शून्य पर है
नाकारा संतानों की यहां खूब भीड़-भाड़ है,
सन्तान नियंत्रण पर नहीं हो रहा
यहां कोई सटीक प्रहार है।

सब जगह है भीड़-भाड़
अनाज और आहार की प्रचूर हो गई है,
बड़ी-सी समस्या अब यहां,
भूखमरी ही दिखती है सब जगह
जो सब बताते हैं जनसंख्या ही वजह है,
आज़ इस धरा पर यहां।

आओ हम-सब मिलकर एक प्रयास करें,
जनसंख्या नियंत्रण पर गम्भीरता से विचार करें॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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