कुल पृष्ठ दर्शन : 24

You are currently viewing व्रत जी की ग़ज़लें स्वच्छ पानी की तरह

व्रत जी की ग़ज़लें स्वच्छ पानी की तरह

पटना (बिहार)।

विज्ञान व्रत जी की ग़ज़लें छोटी बहर में बड़ी गहराई लिए हुए हैं। सरल हिंदी भाषा में लिखी हुई ग़ज़ल जैसे ख़ुद से ही सम्वाद करती प्रतीत होती है। व्रत जी की ग़ज़लें स्वच्छ पानी की तरह बहती हैं।
अध्यक्षीय टिप्पणी में वरिष्ठ शायर डॉ. मंजू सक्सेना ने यह बात कही। अवसर रहा भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से आयोजित कवि सम्मेलन का।
इसका संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने विज्ञान व्रत की ग़ज़लों पर कहा कि, छोटी-छोटी बहर कितना अधिक प्रभाव डाल सकती है, यह विज्ञान व्रत की ग़ज़लों को पढ़-सुनकर महसूस किया जा सकता है। इसलिए विज्ञान व्रत विशिष्ट पहचान रखते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि विज्ञान व्रत ने एकल पाठ में अपनी २४ ग़ज़लों का पाठ किया। विज्ञान व्रत ने ‘वो भी एक ज़माना था, ख़ुद ही वो मैख़ाना था। मिलना एक बहाना था, उसको शान दिखाना था’॥ आदि एक से बढ़कर एक सारगर्भित ग़ज़लों का पाठ कर इतिहास रच डाला। पढ़ी गई ग़ज़लों पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि, आज की काव्य गोष्ठी अद्भुत रही। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, हमेशा हमें एक-दूसरे से कुछ सीखना-समझना चाहिए। जिस दिन हम समझ गए कि, हम पूर्ण हैं, उस दिन हमारे सृजन का अंत हो जाता है।

सम्मेलन में एकलव्य केसरी, ऋचा वर्मा, राज प्रिया रानी, सिद्धेश्वर व कुमारी नवनीत आदि ने भी पाठ किया।