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अनमोल रिश्ते

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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मीठे-मीठे सपनों को,
यह पूरी तरह लेती है नोंच
जिसे मेरी छोटी-सी,
कलम कहती है छोटी सोंच।

काशी और प्रयाग भी बन,
सकता है तुम्हारा घर
अगर रिश्तों से हट,
जाएगा अनचाहा ड़र।

हर रिश्ते में ढूंढती हूँ,
मैं एक प्यारा मित्र
जो जीवन को बनाए,
मेरे महकता इत्र।

बहू क्या लाई ? मत,
करो तुम इसकी गिनती
संस्कार को समझो,
यह है तुमसे छोटी-सी विनती।

रिश्तों के तराजू में मुस्कान का,
भारी रखना तुम पलड़ा
फिर मायने नहीं रखेगा बहू,
और बेटी दोनों के तन पर
अलग होना चाहिए कपड़ा।

किसी एक रिश्ते से नहीं,
है मेरी कोई खास जंग
दर्द होता है जब मर्यादा के नाम,
पर रिश्तों की गलियों को कर देते हो तंग।

रिश्ता कोई भी हो हर गलती,
तुम हँस कर भुला देना
हर रिश्ते को तुम अपने,
प्यार से प्यारा झूला देना।

नसीब से नसीब होते हैं रिश्ते,
हर रिश्ते में रखना समर्पण।
एक मुस्कान से हर रिश्ते,
पर सर्वस्व करो अर्पण॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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