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साहस की जय

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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कर्म करे जो जोश से, खुशियों से भर जाए।
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए॥

जीवन ख़ुद जीना पड़ता है, पीड़ा से लड़ना पड़ता है,
कैसी भी मुश्किल राहों में, पर ज़िद पर अड़ना पड़ता है।
दृढ़ निश्चय करना सदा, तूफाँ भी डर जाए,
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए…॥

काँटे तो निश्चित मिलते हैं, कमल पंक में ही खिलते हैं,
साहस के आगे तो हरदम, गिरि भी डरकर नित हिलते हैं।
संकल्पित रहना सदा, तो दरिया भर जाए,
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए…॥

चलना ही तो जीवन होता, रुकने से हर पल है रोता,
सागर से मोती लाना है, तो गहरे में मारो गोता।
ताक़त, वेग के बल पर, झरना भी झर जाए,
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए…॥

आशाओं का दामन थामे, पर्वत पर भी चढ़ना है,
तूफानों से टकराना है, आगे ही नित बढ़ना है।
भागीरथ जैसा बनो, हर पीढ़ी तर जाए,
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।