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राधिका की बोतल

शीलाबड़ोदिया ‘शीलू’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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विजया ने अपनी बिटिया को आवाज लगाई,-“निक्कू इधर आओ, यह बोतल ले लो। इसका ढक्कन टूट गया है तो कामवाली बाई की बेटी राधिका को बोतल दे दो, ताकि उसके काम आ सके।”

विजया की छोटी बेटी निक्कू बोली,- “ठीक है मम्मी, इस बोतल का भी ढक्कन टूटा है। यह वाली भी दे दूँ क्या ?”
“नहीं निक्कू रहने दो, तुम महीने में कितनी बोतल स्कूल में गुमा देते हो और कितनी ही बोतल तोड़ देते हो। यह बोतल कभी-कभी स्कूल में इमरजेंसी में काम आ सकती है। वह देखो! छोटी राधिका के पास एक भी बोतल नहीं है। बिना बोतल के स्कूल जाती है और तुम्हारे पास इतनी बोतल है, फिर भी तुम उन्हें संभाल कर नहीं रखते।”
कामवाली का काम खत्म होने पर जब बेटी के हाथ में बोतल देखी, तो वह विजया से पूछने लगी,-“दीदी! राधिका को य़ह बोतल क्यों दी है ? इसे ले जाऊं क्या ? लक्ष्मी इस बोतल का ढक्कन टूट गया है, तो वह काम नहीं आ रही है तुम्हारी बिटिया के खेलने के काम आएगी ले जाओ।”

राधिका खुश होकर बोतल से खेल रही थी और जब उसे घर ले जाने के लिए बोतल मिल गई तो, गले में डालकर खुशी से उछल-उछल कर माँ के साथ घर चल दी।

परिचय-शीला बड़ोदिया का साहित्यिक उपनाम ‘शीलू’ और निवास इंदौर (मप्र) में है। संसार में १ सितम्बर को आई शीला बड़ोदिया का जन्म स्थान इंदौर ही है। वर्तमान में स्थाई रूप से खंडवा रोड पर ही बसी हुई शीलू को हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा का ज्ञान है, जबकि बी.एस-सी., एम.ए., डी.एड. और बी.एड. शिक्षित हैं। शिक्षक के रूप में कार्यरत होकर आप सामाजिक गतिविधि में बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को समझाओ अभियान, पेड़ बचाओ अभियान एवं रोजगार उन्मुख कार्यक्रम में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, गीत और जीवनी है। प्रकाशन के रूप में काव्य संग्रह (मेरी इक्यावन कविता) तथा १५ साझा संकलन में रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। इनको मिले सम्मान व पुरस्कार में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान (साझा संकलन), विश्व संवाद केंद्र मालवा (मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मान, कला स्तम्भ मध्य प्रदेश द्वारा सम्मान, भारत श्रीलंका सम्मिलित साहित्य सम्मान और अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति द्वारा प्रदत्त सम्मान आदि हैं। शीलू की विशेष उपलब्धि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में रचना का शामिल होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य साहित्य में उत्कृष्ट लेखन का प्रयास है। मुन्शी प्रेमचंद, निराला, तुलसीदास, सूरदास, अमृता प्रीतम इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज गुरु हैं। इनका जीवन लक्ष्य-हिन्दी साहित्य में कार्य व समाजसेवा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी रग-रग में बसी है।”