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आग्रह

रश्मि लहर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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बदलो अब परिवेश कबीरा,
मिले पुनः सर्वेश कबीरा।

चलो तलाशें फिर मिल-जुल कर,
उन्हें बुला लें मार्ग बदलकर,
कर लें दामन श्वेत कबीरा,
बदलो अब परिवेश कबीरा…।

चहुँदिशि लुप्त हुआ अपनापन,
जातिवाद से पगा दिखे मन
जन्म तो लो दरवेश कबीरा,
बदलो अब परिवेश कबीरा…।

संत-गुरू चोला बदले हैं,
अर्थ रीतियों के धुंधले हैं
फिर से दो संदेश कबीरा,
बदलो अब परिवेश कबीरा…।

अपनों की बातें थोथी हैं,
रिश्तों की साँसें छोटी हैं
गढ़ो नया एक देश कबीरा,
बदलो फिर परिवेश कबीरा…।

है अस्तित्व तनिक खतरे मेंं,
अब हर कोई है सदमे में।
प्रेम बचा लवलेश कबीरा,
बदलो अब परिवेश कबीरा…॥