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गढ़ते शिष्य सुजान

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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शिक्षक समाज का दर्पण…

शिक्षक का आदर करो, गुरु जन पूजित मान।
मात प्रथम गुरु सिद्ध है, पितु भी गुरुवर जान॥

जो हमको शिक्षित करे, शिक्षक गुरुसम मान।
उनको कर सादर नमन, तज माया अभिमान॥

शिक्षा सत अभ्यास है, जीवन भर समवेत।
जिनसे सीखें गुरु वही, परिजन सुजन समेत॥

गुरु ब्रह्मादि महेश से, गुरु श्री हरि सम पूज।
सच्चे गुरु बिरले मिले, ज्यों शशि दर्शन दूज।।

गुरु जीवन संसार है, जीवन का सत सार।
मातु पिता गुरु तीसरे, इन पर गुरुतम भार॥

राधाकृष्णन जयन्ती, शिक्षक दिव उपलक्ष्य।
धन्य भाग ऐसे पुरुष, यदा कदा भू दृश्य॥

वे पहले उप राष्ट्रपति, बन कर अपने देश।
महामहिम दूजे हुए, शिक्षा के परिवेश॥

शिक्षक निर्माता कहे, गढ़ते शिष्य सुजान।
इनके ही सम्मान से, मिले हमें अरमान॥

रीढ समाजी हैं यही, शिक्षक और किसान।
जय जवान के साथ ही, बोलो जय विज्ञान॥

निर्माता गुरु देश के, राजा रंक किसान।
चेले भी शक्कर हुए, गुरु भी हुए महान॥

रामलखन के गुरु बने, मुनि वशिष्ठ वर भाग।
रघुकुल के कुल गुरु रहे, पूजित मन अनुराग॥

विश्वामित्र महान मुनि, वन ले पहुँचे संग।
रामलखन मख रक्षते, जनकपुरी रस रंग॥

ज्ञान पुंज वाल्मीकि ऋषि, विद्या के आगार।
मात सिया लव कुश रखे, रामायण रचिहार॥

कृष्ण सुदामा अरु सखा, विद्या पढ़ते संग।
गुरु संदीपन की कुटी, गुरु जग नाथ प्रसंग॥

कौरव पाण्डव थे हुए, जग में नामित वीर।
द्रोणाचारी गुरु बड़े, अनुपम विद्या धीर॥

एकलव्य वृतान्त वह, गुरु थे द्रोणाचार्य।
दिए अँगूठा भेंट में, नाम अमिट कुल आर्य॥

मध्यकाल में गुरु प्रथा, सत्य निभाए पंत।
नानक कबिरा धीर जन, तुलसी दादू संत॥

राम दास गुरु की व्यथा, हरे शिवाजी वीर।
दूध शेरनी का सहज, भक्ति दिखाये धीर॥

मिली कृपा शिवराज को, जीजाबाई मात।
बने क्षत्र पति राज्ञ वे, देश धर्म हित ज्ञात॥

मीरा अर रैदास भी, सतजन गुरु पद वंद।
पीपा नीमा रामदे, लोक देव गुरु वृंद॥

रामकृष्ण जन हन्स थे, गुरु बन हरते द्वन्द।
बालक नाथ नरेन्द्र को, किया विवेकानन्द॥

दयानन्द स्वामी रहे, गुरु जन सन्त महान।
आर्य समाजी पंथ है, अब भी चले विधान॥

राजनीति में भी हुये, गुरु पद पर आसीन।
गुरु चाणक्य व गोखले, गाँधी तिलक प्रवीन॥

सब मिल गुरु का मान कर, अंतर्मन सनमान।
बिन गुरु नुगरा मत बनें, सतगुरु ही भगवान॥

प्रभु से पहले गुरु नम:, हरि की रीति प्रतीत।
शर्मा बाबू लाल कर, गुरु को नमन पुनीत॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।