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हमारे पिता

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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प्यार और दुलार,
सुंदर मीठी बयार
ऐसा पिता का प्यार,
कैसे करूं उनका गुणगान…।

अपनी इच्छाओं को,
देकर कुर्बानी
हमारी जिंदगी कर दी सुहानी,
घर की वो है मजबूत छत
होंठों पर रखते मुस्कान।
कैसे करूं उनका…

हर दर्द की दवा रहे,
परिस्थितियों से लड़ते रहे
हमको भी समझाते रहे,
सही राह पर चलने के लिए
हर वक़्त हमें डांटते रहे,
आँखों में आँसू लिये वो
बनते जय कन्हैयालाल।
कैसे करूं उनका…

शिक्षा धर्म-कर्म शिष्टाचार के,
जीवन की हमारी रहे किताब
हर पल-हर क्षण रखते हिसाब,
जीवन के सुख-दु:ख में
कैसे करें हम नैया पार,
आज भी आदर्श उन्हीं के,
रहते साथ में हमारी शान…।
कैसे करूं उनका…गुणगान॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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