डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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हो अगर इश्क़ खूबसूरत तो, फिर क्यों ना मुस्कायें।
दिल अगर दिल से मिल जाए, तो फिर क्यूँ न मुस्कायें।।
इस दुनिया से मैं टकरा जाऊँ, तुम्हारी खातिर,
चाहे चाल चलें गहरी लोग, इस दुनिया के शातिर।
तुम प्यार करो मुझसे, अब तो फिर क्यूँ न मुस्कायें,
हो अगर इश्क़ खूबसूरत…॥
इस खूबसूरत इश्क के, पल्लू में बँधते जायें,
खुशियों के लम्हें आए तो, हम दोनों सज जायेंं।
मेरे प्यार की गर जीत हो, तो क्यूँ न मुस्कायें,
हो अगर इश्क़ खूबसूरत…॥
मुझे तुमसे नहीं शिकवा, न कोई शिकायत तुम्हें मुझसे,
इस दिल की गहराई से, करती रहूँ प्यार तुमसे।
नजरे इनायत हो अगर तो, फिर क्यूँ न मुस्कायें,
हो अगर इश्क़ खूबसूरत…॥
दुनिया की तमाम मुश्किलें, कभी आएं नहीं तुम पर,
सफ़र जिंदगी का ही, अब सदा कटता रहे हँसकर।
मुहब्बत दिन-दिन परवान हो तो, क्यूँ ना मुस्कायें,
हो अगर इश्क़ खूबसूरत…॥
परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश )में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”