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उनकी लेखनी ऐसे साहित्य का सृजन करती रही, जो अनमोल धरोहर बन गया

रामवृक्ष बेनीपुरी जयंती स्मरण…

पटना (बिहार)।

तरुणाई से मृत्यु तक वे अपने सीने में अग्नि का पोषण करते रहे। वही अग्नि उनकी लेखनी ऐसे साहित्य का सृजन करती रही, जिसने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सिपाहियों को ऊर्जा दी, बल्कि साहित्य संसार की अनमोल धरोहर बन गया। वह अग्नि-पोषक साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी संघर्ष के पर्यायवाची व्यक्तित्व थे।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में बेनीपुरी जयंती पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यह बातें कही। डॉ. सुलभ ने कहा कि ‘कैदी की पत्नी’, ‘जंजीरें और दीवारें’, ‘गेहूँ और गुलाब’ तथा ‘पतितों के देश में’ जैसी उनकी बहुचर्चित पुस्तकें जेल में ही लिखी गई।
समारोह का उद्घाटन करते हुए सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि बेनीपुरी जी बड़े साहित्यकार और स्वतंत्रता आंदोलन के महान योद्धा भी थे।
वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, ममता मेहरोत्रा, डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह व डॉ. पुष्पा जमुआर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, शुभचंद्र सिंहा, प्रो. सुनील कुमार, अनुपमा सिंह व सुनीता रंजन आदि ने काव्यांजलि अर्पित की।
सम्मेलन के अर्थमंत्री प्रो. सुशील झा, प्रभात कुमार सिन्हा, डॉ. मनोज गोवर्द्धन पुरी व डॉ. चंद्र शेखर आजाद आदि बड़ी संख्या प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।
🔹 ‘मान्या’ की पुस्तकें विमोचित
पूर्व राज्यपाल ने इस अवसर पर वरिष्ठ कवयित्री डॉ. मीना कुमारी परिहार ‘मान्या’ की ४ पुस्तकों (‘मेरी कलम मेरे जज्बात’, ‘मान्या पुष्पांजलि’, ‘हकीकत-ए-बयां’ तथा ‘शब्दों में सिमटे दिलकश जज्बात’) का भी लोकार्पण किया।