कुल पृष्ठ दर्शन : 25

You are currently viewing गणतंत्र पर्व मनाएँ

गणतंत्र पर्व मनाएँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

खुशियों से भर जाएँ, आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ।
नवल चेतना पाएँ, आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ॥

संविधान हमने पाया था, तम को दूर भगाया था,
मुस्कानें अधरों पर आईं, हमको पर्व सुहाया था।
विश्वगुरू हम, ज्ञानसूर्य हम, हमने कदम बढ़ाया था,
सम्प्रभुता पाई थी हमने, जीवन-सुमन खिलाया था।

तीन रंग रँग जाएँ,आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ,
नवल चेतना पाएँ,आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ…॥

लिए एकता, बन ताक़तवर, हमने प्रेम निभाया है,
जनकल्याणक बनकर हमने, शांति मार्ग अपनाया है।
गीत नेह के हम गाते हैं, हम बेहद मतवाले हैं,
आसमान तक हम जा पहुँचे, भाईचारा पाले हैं।
हम सुभाष बन गाएँ, आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ,
नवल चेतना पाएँ, आओ! गणतंत्र पर्व मनाएँ…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला (मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में है। आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र) में हुआ है। एम.ए. (इतिहास, प्रावीण्यताधारी), एल.एल.बी. सहित पीएच.-डी.(इतिहास) तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैं। करीब ४ दशकों में देश के ५०० से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में १० हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियाँ आपके खाते में हैं। साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो (३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार) सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं (विशेषांकों) का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक-संचालक के साथ ही शोध निदेशक, विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार (निबंध-५१ हजार ₹)है।