कुल पृष्ठ दर्शन : 19

You are currently viewing मैं घड़ी, वक़्त प्रियतम

मैं घड़ी, वक़्त प्रियतम

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
***********************************************

दौड़ती, टिक-टिक मैं घड़ी हूँ,
समय-प्रियतम प्रेयसी मैं हूँ
समस्त जग वश, समय घड़ी हूँ,
प्रेयसी सह-प्रिय सदा मैं हूँ।

उच्चतम दर क्रय दे सजाते,
शान-शौकत अहम इठलाते
वाह! खूब, रह-रह इतराते,
भान, मुझे तब सिर्फ सजाते।

उद्विग्न, देख निज अनदेखी,
उपेक्षा, फिसल रेत हथेली
धिक् तुम्हें! पूँजी लम्हें खाली,
झरे स्वप्न! क्षण न कद्र, देखी।

मुद-मंगल करमूल सुहाती,
गफलत जुदा कर, सिर धुनाती
ढूंढ अपनत्व संग व्यक्तित्व,
तहजीब शिक्षा फिर इतराती।

बदला समय कदर, यह कैसा ?
‘चंचल-दूरभाष’ स्वीकारा
दूरभाष हड़प नित अस्मिता,
मूल, रुखसत झेल उपेक्षा।

घर, आफिस भित्ति में अस्तित्व,
टिक-टिक बंध अस्तित्व मेरा
शान-मान अब यहीं अस्तित्व,
संलग्न हो स्वामित्व मेरा।

असह, अलार्म लगा सुस्ताते,
खिन्न-रुसवा ताड़ित दुर्भाग्य
अपशब्द, ताने-दोष देते,
लांछन बुराई मढ़े भाग्य।

समय रह मान-सम्मान मेरी,
वक्त संवार फितरत मेरी।
ध्यान-दे पथिक पग धरते जो,
इतिहास रचते वक्त, से जो॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।