संगोष्ठी…
गयाजी (बिहार)।
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विवि के प्रो. सुरेश चन्द्र के साहित्य पर २ दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय साधना केन्द्र बोधगया में हुआ। विषय ‘दलित विमर्श और सुरेश चन्द्र का साहित्य’ पर यह आयोजन बाबू इन्द्रदेव प्रसाद स्मारक शिक्षा एवं सामाजिक चेतना फाउण्डेशन, (लखनऊ) और मुन्द्रिका सिंह यादव महाविद्यालय (किंजर) ने मिलकर किया।
इस संगोष्ठी में नेपाल और भारत के १२ राज्यों से प्रतिभागी शामिल हुए। उद्घाटन विधानसभा के अध्यक्ष रहे उदय नारायण चौधरी ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन के साथ किया। अध्यक्षता डॉ. बी.पी. नलिन ने की। स्वागत भाषण अनिल कुमार गौतम ने दिया। श्री चौधरी ने कहा कि देश में सामाजिक अन्याय अब भी जारी है। दलित साहित्यकारों को इसका समाधान दिखाना होगा। उन्होंने सुरेश चन्द्र के कार्यों की सराहना की। मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सुरेश चन्द्र की भूमिका को अहम बताया। उन्होंने डॉ. आम्बेडकर के विचारों को साहित्य में लाने की बात कही। पुणेके प्रो. बालासाहेब बबनराव सोनावणे ने बीज वक्तव्य में कहा कि सुरेश चन्द्र का साहित्य दलित विमर्श की समझ के लिए जरूरी है। विधायक सतीश दास, डॉ. वीर बहादुर महतो ने भी अपनी भावना व्यक्त की। डॉ. नलिन ने अध्यक्षीय
वक्तव्य में कहा कि सुरेश चन्द्र का साहित्य मानवता के कल्याण का मार्ग दिखाता है। इसी सत्र में उनके नए नाटक ‘चौकीदारी पीठ’ का लोकार्पण हुआ।
संगोष्ठी में इसके बाद काव्य गोष्ठी हुई। इसममें रूप नारायण सोनकर, प्रो. एन.एस. परिहार, डॉ. संगीता राय और सोनाली राजपूत आदि ने कविताएं सुनाई।