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रच जाते कीर्तिमान

राधा गोयल
नई दिल्ली
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ईश्वर की इच्छा से ही संसार में सब कुछ होता है,
कुछ लोगों की ज़िंदगी से, यही सत्य उजागर होता है
कोई मूक-बधिर होता है तो कोई नेत्रहीन पैदा होता,
तो कोई किसी दुर्घटना में, अनचाहे अपंग हो जाता है
कुछ हैं जो ऐसा होने पर, बिल्कुल साहस खो देते हैं,
ऐसे भी लोग हैं जो हर बाधा से, डटकर टक्कर लेते हैं।

कितनी भी विपत्तियाँ आएँ, जो कभी नहीं घबराते हैं,
मूक, बधिर और दृष्टिहीन तक
कीर्तिमान रच जाते हैं
कितनी भी चुनौतियाँ आएँ, जो हिम्मत नहीं हारते हैं,
ऐसे हिम्मत वाले लोग, अलौकिक शक्ति धारते हैं
लाचार नहीं समझें उनको, अद्भुत मेधा के स्वामी हैं,
दिव्य अंग होता उनके, अंगों में यदि कोई खामी है।

कुछ दिव्यांग महापुरुषों ने, कितने कीर्तिमान रचे,
इसी लिए सबके दिल में, वे युगों- युगों जीवन्त रहे
नेत्रहीन थे सूरदास, पर कैसा अद्भुत काव्य रचा,
श्रीकृष्ण के बचपन का, गीतों में सुन्दर गान किया
भक्ति भाव से जन-जन ने उन गीतों का रसपान किया,
उन गीतों के रस माधुर्य में, खोकर नर्तन खूब किया।

नेत्रहीन कर्मशील को ईश्वर दिव्य नेत्र दे देते हैं,
जिस अंग से होता है अपंग, अतिरिक्त अंग दे देते हैं
निज बलबूते दिव्यांग लोग कई काम अनोखे कर जाते,
जन-जन के लिए प्रेरणा का, संवाहक भी वो बन जाते
ब्रेल लिपि का जनक लुई, एक ऐसा ही दिव्यांग हुआ,
तीन वर्ष की उम्र में उनके साथ एक हादसा हुआ।

आँखों की रोशनी गई,जीवन में निराशा छा गई थी,
मात-पिता के जीवन में, घनघोर हताशा आ गई थी
किसी तरह दिल को समझाया, खुद को कुछ मजबूत किया,
पेरिस के अंधविद्यालय में, उनका दाखिला करा दिया
सोलह वर्ष की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया,
दृष्टिबाधित भी पढ़-लिख पाएँ, बड़ा अनोखा कार्य किया।

ब्रेल लिपि के कारण कितने लोगों को रोशनी मिली,
उच्च शिक्षा हासिल करके, दृष्टि बाधितों ने नई मिसाल गढ़ी
दृष्टिबाधितों के जीवन में ज्योति जलाने वाला दीपक,
४३ वर्ष की अल्पायु में अमर ज्योति में समा गया।
जो स्वयं देख नहीं सकता था,
लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में,
कितनों के ही जीवन में वो नया उजाला कर गया॥