दिल्ली
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ब्राजील के रियो डी जनेरियो में १७वें ब्रिक्स सम्मेलन में सदस्य देशों ने संयुक्त घोषणा-पत्र जारी किया। इसमें पहलगाम आतंकी हमले और ईरान पर इजराइली हमले की निंदा की गई। इससे पहले क्वाड ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पहलगाम हमले की निंदा की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में पहलगाम की आतंकी घटना पर कठोर शब्दों में कहा कि पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर चोट है। आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, सुविधा नहीं। श्री मोदी ने शांति एवं सुरक्षा सत्र में कहा कि पहलगाम में हुआ ‘कायरतापूर्ण’ आतंकवादी हमला भारत की ‘आत्मा, पहचान और गरिमा’ पर सीधा हमला है। उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था की मांग उठाई। प्रमं नरेन्द्र मोदी इस समिट में महत्वपूर्ण मुद्रा में दिखाई दिए और उन्होंने फिर सदस्य देशों से भी आग्रहपूर्ण ढंग से दबाव बनाया कि ब्रिक्स का विस्तार होना चाहिए। ब्रिक्स यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-ये दुनिया की ५ सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है। ब्रिक्स ऐसा बहुपक्षीय मंच है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग, वैश्विक विकास और सामूहिक सुरक्षा की भावना को बल देता है।
ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद, विशेषकर कश्मीर में फैले इस्लामी आतंकवाद को लेकर चर्चा ने इस मंच को वैश्विक राजनीति की दिशा तय करने वाले संगठनों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया है। इसमें भारत की भूमिका, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक भूमिका रही है। इन शक्तिसम्पन्न देशों का वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव है और दुनिया की लगभग ४० फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। चीन इसे अपने हित के लिए इस्तेमाल करना चाहता है, जबकि भारत इसे सही मायनों में लोकतांत्रिक संगठन बनाना चाहता है। भारत चाहता है कि ब्रिक्स समूह मिलकर दुनिया में शांति, सह-जीवन, अहिंसा, लोकतांत्रिक मूल्य, समानता एवं सह-अस्तित्व पर बल देते हुए दुनिया को युद्ध, आतंक एवं हिंसामुक्त बनाया जाए। सम्मेलन में एक विशेष बिंदु जो उभरकर सामने आया, वह था-अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का बदलता स्वरूप और इसके कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्रभाव। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से यह रेखांकित किया कि आतंकवाद अब किसी एक राष्ट्र की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह एक वैश्विक संकट बन चुका है। उन्होंने कश्मीर में हो रहे आतंकवादी हमलों, पाकिस्तान समर्थित गतिविधियों और भारत की सीमाओं पर हो रही हिंसक घटनाओं को उदाहरण के रूप में सामने रखा।
भारत ने लंबे समय से कॉम्प्रेहेंसिव कॉन्वेंशन ऑन इन्टरनेशनल टेरिजम्स (सीसीआईटी) की पैरवी की है। इस बार ब्रिक्स मंच पर मोदी ने इस प्रस्ताव को फिर से प्रमुखता से उठाया और एक साझा परिभाषा व वैश्विक नीति की मांग की ताकि आतंकवादियों को सुरक्षा और राजनीतिक सहारा न मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि ब्रिक्स को एक साझा आतंकवाद निरोधी तंत्र बनाना चाहिए, जो सूचनाओं का आदान-प्रदान, निगरानी तंत्र और आतंक के वित्तपोषण को रोकने में सहयोग करे। भारत ने इस बार पाकिस्तान का नाम लिए बिना यह सिद्ध किया कि कश्मीर में आतंकवाद एक स्थानीय असंतोष नहीं, बल्कि बाहरी प्रायोजित आतंक है। ब्रिक्स देशों रूस और ब्राज़ील ने इस बात को स्वीकारा कि कश्मीर में फैले आतंकवाद पर चिंता जायज़ है और उन्होंने भारत के दृष्टिकोण का समर्थन किया। यह कूटनीतिक जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व कौशल को रेखांकित करती है। उन्होंने न केवल भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा की, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध एक नैतिक और व्यावहारिक आधार भी प्रस्तुत किया।
भारत २०२६ में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने जा रहा है, जो भारत के लिए भविष्य को गढ़ने का एक सुनहरा अवसर है। नरेंद्र मोदी ने जिस सूझबूझ, तर्कशक्ति और साहस के साथ कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, वह भारत की कूटनीति के नए युग की शुरुआत है। जब भारत अध्यक्षता करेगा, तब यह विश्वास किया जा सकता है कि न केवल भारत, बल्कि समूचा विश्व भारत की नीति, नैतिक दृष्टि और नेतृत्व क्षमता का सम्मान करेगा। इस मंच से भारत केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि मानवता, शांति और न्याय की नई इबारत लिखेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक दक्षिण के देश अक्सर दोहरे मानक का शिकार रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिन देशों का योगदान ज्यादा है, उन्हें फैसले लेने का हक नहीं है। यह सिर्फ प्रतिनिधित्व का नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है।
भारत का मानना था कि समान सोच वाले देशों को साथ लेकर चला जा सकता है। आनेवाले समय में ब्रिक्स दुनिया की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने लगेगा। निश्चित ही ब्रिक्स की ताकत से एक वैश्विक संतुलन स्थापित हो रहा है और अमेरिका एवं पश्चिमी देशों के अहंकार एवं दुनिया पर शासन करने की मंशा पर पानी फिरा है। हमारा भविष्य सितारों पर नहीं, जमीन पर निर्भर है, वह हमारा दिलों में छिपा हुआ है, दूसरे शब्दों में कहें तो हमारा कल्याण अन्तरिक्ष की उड़ानों, युद्ध, आतंक एवं शस्त्रों में नहीं, पृथ्वी पर आपसी सहयोग, शांति, सह-जीवन एवं सद्भावना में निहित है। ’वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र इसलिए सारी दुनिया को भा रहा है। इसलिए बदलती हुई दुनिया में बदलते हुए राजनीतिक हालात में सारे देश एकसाथ जुड़ना चाहते हैं। ब्रिक्स में भारत का वर्चस्व चीन की तुलना में बढ़ा है, जो प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता एवं कूटनीति का परिणाम है।