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हसरतें जो रही अधूरी…. अमिताभ

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
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वर्षगांठ विशेष………….
एक ऐसा व्यक्तित्व,जो अभिनय रूपी शहद के कटोरे से मंद-मंद मुस्कान बिखेरने में सफल रहा,जो भारतीय फिल्माकाश पर विगत पांच दशकों से अलौकिक दैदीप्यमान तारे की तरह अपनी बहुमुखी प्रतिभा से सिने प्रेमियों के दिलों की धड़कनों को असंयत करने में सफल रहा। युवा,प्रौढ़ और बच्चों के बीच जिसने समान लोकप्रियता प्राप्त की,जी हाँ,मैं बात कर रहा हूँ अमिताभ बच्चन की,जो आज अपने सफल जीवन के ७७ वसंत पूरे कर रहे हैं।
११ अक्टूबर १९४२ को प्रख्यात साहित्यकार हरिवंशराय बच्चन (श्रीवास्तव)के यहां इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ ने पिता के काव्य समंदर में डुबकी नहीं लगाई,बल्कि उनके अनुशासन और माँ तेजी बच्चन के महत्त्व,स्नेह की छांह में जीवन का ककहरा सीखा।
बीएससी की शिक्षा पूर्ण करने के बाद अमिताभ ने फिल्म अभिनय की ओर रुख किया,किंतु सात हिंदुस्तानी(१९६९) फिल्म से अभिनेता के रूप में अपना सफर शुरू करने वाले अमिताभ की एक के बाद एक कई फिल्में असफल साबित हुई,पर संघर्ष और जीवट के धनी अमिताभ बच्चन ने धैर्य नहीं खोयाl फिर प्रकाश मेहरा की फिल्म जंजीर में अमिताभ की संवाद अदायगी और अभिनय ने फिल्म प्रेमियों कि मन को मोह लिया। अमिताभ रातों-रात सफल सितारा नायकों की कतार में आ खड़े हुएl यही वह समय था जब चर्चित महानायक की पायदान पर विराजमान राजेश खन्ना के किले में सेंध लगना शुरू हो गई,और इसके जिम्मेदार थे अमिताभ बच्चन।राज कपूर दिलीप कुमार और देवानंद की तिकड़ी अपने अभिनय के अस्तांचल में प्रवेश कर रही थी। अमिताभ ने सफलता की एक सीढ़ी तय क्या की,किसी अबाध उत्श्रंखल बहते झरने की तरह उनकी लोकप्रियता शीर्ष पर जा पहुंची। संघर्ष और अभिनय की तपिश में वे एक ऐसा सोना बनकर निकले,जो हर तरह के आभूषण(अभिनय) भूमिका में अपनी पहचान और चमक नहीं खोते। हिंदी सिनेमा ही नहीं,बंगला,भोजपुरी और पंजाबी फिल्मों में भी अमिताभ ने अपनी कुशल अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया। शोले फिल्म में जाट धर्मेन्द्र के साथ अमिताभ की भूमिका को काफी सराहा गया। अमर अकबर एंथोनी(१९७७) के लिए अमिताभ बच्चन को श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। आनंद और नमक हराम के लिए वे श्रेष्ठ सहअभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किए गए। दर्जनभर अभिनीत फिल्मों में गायन के साथ कई फिल्मों में दोहरी-तिहरी भूमिका का भी अमिताभ ने निर्वाह कियाl १९८४ में भारत शासन ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया। अमर गायक किशोर कुमार की आवाज भी अमिताभ को बुलंदियों तक पहुंचाने में काफी मददगार रही।
अमिताभ ने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले नायकों के लिए लक्ष्य के रूप में एक ऐसी बुलंद इमारत खड़ी की है,जिसका वे अनुसरण कर अपनी अभिनय यात्रा का आगाज कर सकते हैं। हाँ,इतने संपूर्ण व्यक्तित्व की भी कुछ हसरतें अधूरी रही हैं,वे फौज में जाना चाहते थे,पर अभिनेता बनेl वे कई भाषाएं सीखना चाहते हैं, वे गुरुदत्त के साथ फिल्म में काम करना चाहते थे,पियानो बजाने में महारथ हासिल करना चाहते हैं,पर यह उनकी कुंडली के लिए सदैव चीन की दीवार बने रहे।
आज अमिताभ स्वच्छता अभियान से जुड़े हैं,चुनिंदा फिल्मों में काम के साथ देश के जन-जन तक कौन बनेगा करोड़पति टी.वी. शो के माध्यम से हिंदुस्तानियों के दिलों की धड़कनों को भी असंयत कर रहे हैं। अपने जन्मदिन को एक सामान्य दिन की तरह मनाएंगे वे,कारण बिहार जल त्रासदी,जहां वे ५१ लाख रुपये दान दे चुके हैं।
अमिताभ की शख्सियत पूर्णिमा के चाँद की तरह रोशनी और दर्शकों के दिलों को अभी भी ठंडक पहुंचा रही है। अमिताभ बच्चन को ७७ वीं वर्षगांठ पर ढेर सारी बधाई और मनभर शुभकामनाएं।

परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।

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