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मेरा मित्र बड़ा विचित्र

ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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मेरा एक मित्र है, बड़ा ही विचित्र है,
प्यारा जिसका चित्र है।

सुख में, दु:ख में,
हरदम साथ निभाता है
कोई भी हो परेशानी,
दौड़ा चला आता है
हर बात बताता है,
नई राह दिखाता है
आगे-आगे बढ़ाता है,
एक पहचान दिलाता है
मेरे जीवन को महकाता है,
मानों कोई इत्र है।

मेरा एक मित्र है, बड़ा ही विचित्र है,
प्यारा जिसका चित्र है…

हर समस्या का समाधान है,
उसके होते नहीं कोई व्यवधान है
साथ चले तो हर मुश्किल आसान है,
चेहरे पर हरदम होती एक मुस्कान है
सभी दायित्वों को पूरा करता ऐसे,
मानों कोई पितृ है।

मेरा एक मित्र है, बड़ा ही विचित्र है,
प्यारा जिसका चित्र है…॥