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नेताओं के ‘विष’ वमन पर अंकुश आवश्यक

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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देश की आजादी के इतने समय बाद भी नेताओं की जुबान नियंत्रित नहीं हो सकी है एवं राजनीतिक आग लगाने में नेता सबसे आगे हैं। एनसीपी विधायक जितेन्द्र आव्हाड द्वारा ‘सनातन’ मुद्दे पर जहर उगलने के बाद अब शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी फिर यही साबित किया है। इन्होंने अजीब बयान देकर दावा किया है कि “पहलगाम में आतंकियों ने लोगों को धर्म पूछकर नहीं मारा।” एक तरह से संजय राउत ने दिन को रात कर देने जैसा हैरान करने वाला दावा किया है कि “पहलगाम में आतंकियों ने लोगों को धर्म पूछकर नहीं मारा, पहलगाम के आतंकी हमले में धर्म का एंगल देकर भाजपा ने अपना झूठ (नैरेटिव) सेट किया।”
इस बेतुके बयान का भाजपा ने कड़ा विरोध व्यक्त किया और लोग हँस रहे हैं, लेकिन ऐसे विषयों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, तभी देश में सद्भावना कायम रखी जा सकेगी। समझ में नहीं आता कि संजय राउत ने बिना सबूत के ऐसे सबको हैरान कर देने वाला दावा कैसे कर डाला। इनका यह कहना सबको झूठा साबित करता है, जिसमें तमाम सुरक्षा एजेंसी भी शामिल है।
इसी साल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में २२ अप्रैल को बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था। पाक समर्थित आतंकवादियों ने यहाँ पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उन निर्दोषों की हत्या कर दी थी। इस आतंकी हमले में २६ लोगों की मौत हुई थी और अन्य लोग घायल हुए थे। इसके बाद भी पाकिस्तान ने मुँहजोरी करते हुए इस घटना में अपना हाथ नहीं माना था, लेकिन भारत ने सबूत जुटाकर और आपरेशन ‘सिंदूर’ से इसका कड़ा प्रतिकार लेकर फिर से यह साबित कर दिया कि आतंक का मतलब पाकिस्तान ही है।
भाजपा के घोर विरोधी श्री राउत ने सांसद कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट में तृणमूल सांसद सागरिका घोष और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के साथ इस आतंकी हमले को लेकर कहा कि “पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछकर लोगों को नहीं मारा था। पहलगाम के आतंकी हमले में धर्म का एंगल देकर भाजपा ने अपना नैरेटिव सेट किया। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भाजपा प्रोपेगैंडा फैला रही थी। वह देश में एक और गोधरा कांड की साजिश रच रही थी।”
अब बात गुजरात की तो गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलाने के इस बड़े मामले को लेकर कांग्रेस और अन्य दल बरसों तक भाजपा और तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को कोसते एवं दोषी ठहराते रहे हैं, लेकिन कोर्ट में आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। इसके बाद भी श्री राउत का पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर बे-सिर पैर का दावा और यह कहना कि “ये ऑन रिकॉर्ड भी है। जो सैनिक मारा गया उनकी पत्नी ने भी ऐसा कहा। और हमने भी बहुत से लोगों से बात की। ये भाजपा का प्रोपेगैंडा रहा कि पहलगाम हमले के बाद वो देश में गोधरा करना चाहते थे लेकिन पीड़ितों के परिजनों ने ऐसा होने से रोक लिया।” वाकई गजब की स्तरहीन राजनीति है।
अपने वर्चस्व को तलाशते श्री राउत का विवादित बयान देने का यह पहला किस्सा नहीं है। इन्होंने अप्रैल में हमले के बाद कहा था कि “पहलगाम के ६ आतंकी एक दिन बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे, इसीलिए नहीं पकड़े जा रहे।” सच में शर्म आती है ऐसे नेताओं के बयान और सोच पर, जो राष्ट्रीय मामलों में भी राष्ट्रहित नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि इनको तो बस ‘राज’ की ‘नीति’ करनी है, भले ही फिर देश में सौहार्द बिगड़े।
इधर, एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी फिर विवादित बयान देकर जहर घोलने का पुरजोर प्रयास किया है। इनका बोलना “सनातन ने देश को बर्बाद किया…” इनकी ही पार्टी के गले की फाँस बन गया है। इस बयान की भाजपा सहित हर वर्ग ने जमकर खिलाफत की और इसे ओछी राजनीति करार दिया है।
राजनीति के लिए कुछ भी बोलना नेताओं का भले ही रोज का काम हो, मगर ऐसे बेतुके बयानों से देश का माहौल और सदभावना खराब होती है, ये बात आज भी दल और नेता समझ नहीं सके हैं। इसी रास्ते पर चलते हुए शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने सनानत धर्म को लेकर विवादित बयान दिया, जो इनकी मानसिक और राजनीतिक निम्नता को साबित करता है। इस बयान ने देश के बिहार और महाराष्ट्र की सियासत में तूफान मचा दिया है, क्योंकि बिहार में शीघ्र ही विधानसभा के चुनाव होना है। वहाँ भी भाजपा इसे सामने रखेगी, क्योंकि कांग्रेस सहित इण्डिया का गठबंधन है। आगामी समय में महाराष्ट्र में भी चुनाव में यह मुद्दा भाजपा अवश्य उठाएगी। समझ में नहीं आता कि जब नेताओं का अध्ययन नहीं है, तो आखिर नेता ‘धर्म’ पर बोलते ही क्यों हैं ? इनके विवादित बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रखरता से हमला बोला है और कड़ी निंदा की है। किसी भी धर्म को बदनाम करने वाले ऐसे चेहरों को अब पहचानकर समाज से अलग करना जरूरी है। इस विवाद से विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच तनाव और बढ़ा है।
राजनीतिक विडंबना देखिए कि महाराष्ट्र के ठाणे में दिए इस बयान में उन्‍होंने सनातन धर्म को छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक से इनकार, संभाजी महाराज की बदनामी, ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले पर हमले और डॉ. बी.आर. आम्बेडकर के साथ भेदभाव जैसे ऐतिहासिक अन्यायों का जिम्मेदार ठहराया। इन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक रोका, ज्योतिराव फुले और भीमराव आम्बेडकर पर ज़ुल्म किए। यह भी कहा कि वो हिंदू धर्म को मानने वाले हैं, ना कि सनातनी सोच के हैं। इन्होंने मनुस्मृति को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि यही सनातनी परंपरा है, जिसने उसे जन्म दिया और यही सोच आम्बेडकर के साथ भेदभाव की जड़ थी। वर्चस्व की ‘सस्ती’ राजनीति के लिए जितेंद्र आव्हाड ने अपने बयान से न सिर्फ सनातन धर्म को, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था को लहूलुहान करने की कोशिश की है। ऐसा बोलना एक तरफ जहां उनकी राजनीतिक सोच के खोखलेपन को उजागर करता है, वहीं वैचारिक दिवालिएपन का भी प्रमाण है। यह पहला मौका नहीं है, जब जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म को निशाना बनाकर सस्ती सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश की है। बार-बार सनातन के विरुद्ध ज़हर उगलना उस मानसिकता को दर्शाता है, जो वोट बैंक की राजनीति में धर्म और संस्कृति को जानबूझकर डाल रहे हैं।
जहरबाज नेताओं को समझ लेना चाहिए कि सनातन धर्म कोई राजनीतिक संस्था नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही एक ऐसी जीवन-शैली है, जिसने “वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ जैसे विचारों से पूरी मानवता को राह दिखाई है। यह धर्म कभी किसी पर थोपे जाने की भावना से नहीं चला और पला, बल्कि सहिष्णुता, सह-अस्तित्व और सत्य की खोज में विश्वास रखता है। ऐसे धर्म को “देश बर्बाद करने वाला” कहना केवल नासमझी नहीं है, बल्कि सोची-समझी उकसावे की रणनीति भी है। ग्रंथों से दूर जितेंद्र आव्हाड को शायद यह नहीं मालूम कि जिस संविधान का सहारा लेकर वे अपनी बात कह रहे हैं, वही संविधान भारत की सनातन विरासत से प्रेरित अनेक मूल्यात्मक सिद्धांतों को आत्मसात करता है।
असल में, इस राज्य में एनसीपी का राजनीतिक अस्तित्व संकट में है तो ध्यान भटकाने के लिए ऐसे भड़काऊ बयान दे रहे हैं, लेकिन ये भूल गए हैं कि यह देश अब जाग चुका है। जनता समझती है कि “सनातन” को गाली देना, हिंदू संस्कृति को कोसना और तुष्टिकरण की राजनीति करना अब पुरानी रणनीति हो चुकी है।
जितेंद्र आव्हाड ने अपने बयान से देश की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुंचाने का प्रयास किया है। इसलिए इनके दल और कोर्ट को भी ऐसे जहरीले बयान पर स्वत: संज्ञान लिया जाना चाहिए।