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भावांजली गणेश जी को

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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सारी दुनिया के जो गुलशन खिलाता,
उस गुलशन से कुछ फूल तोड़ लूँ
हर गुलशन में जो फूल खिलाता,
लेकर कुछ उसके चरणों में जोड़ दूँ
अनंत गुलशन फूल भी अनंत खिला दिए है अनंत ने,
अनंत जो दिव्य दिगंत है हर बगिया का माली है
हर बगिया का फूल खिलाकर गाता जो कव्वाली है,
खिले-खिले हैं सुंदर उपवन कुछ उसका उसको अर्पण कर दूँ
उसका उसको अर्पण करके कुछ अपना भी समर्पण कर दूँ।

कैसे भर देता गंध सुगंध वो, हर सुमन की अपनी अलग महक है,
किस्म-किस्म के फूल खिलाता, हर सुमन की अपनी अलग चहक है
पंखुरी-पंखुरी पराग-पराग और तरह तरह की फैली मकरंद है,
अनंत किस्म के फूल अनंत है, अनंत ने भर दी अनंत सुगंध है
इस अनंत की अनंत बगिया से उस अनंत को थोड़ा अर्पण कर दूँ,
उसका उसको अर्पण करके कुछ अपना भी समर्पण कर दूँ…।

सारा उसका ही निर्मित है हम केवल कुछ साँसों के बाशिंदे,
प्राण भी उसके साँस भी उसकी हम सब केवल हैं उसके बन्दे
कुछ साँसों के स्पंदन और वंदन उसकी खिदमत में चन्दन कर दूँ,
अनंत के अनंत उपकारों का कृतज्ञ बनकर उन चरणों में शीश वंदन का दूँ।
जिसने दी साँसों की मालिका, उस मनीमाला के मोती कुछ अर्पण कर दूँ,
उसका उसको अर्पण करके कुछ अपना भी समर्पण कर दूँ….॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।