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छठी मईया की भक्ति को समर्पित रही काव्य संध्या

सोनीपत (हरियाणा)।

लोक आस्था के मंगल उत्सव छठ महापर्व विशेष २२०वीं काव्य संध्या छठी मईया की भक्ति आराधना को समर्पित रही। राष्ट्रीय ओज एवं आशुकवि भास्कर सिंह माणिक के मंच संचालन में कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर से विद्वान साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि रायपुर से प्रबुद्ध साहित्यकार प्रमोद पटले ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रतापगढ़ की वरिष्ठ सृजनकार किरण अग्रवाल ने मुख्य अतिथि का पदभार संभाला। देशभर से जुड़े विद्वान साहित्य मनीषियों के इस आयोजन में छठ महापर्व के विधान, व्रती महिलाओं के तप त्याग, नैसर्गिक प्राकृतिक सुषमा, पर्यावरण संरक्षण, और भावों में पिरोई गई। आत्मिक सौंदर्य की अभिव्यक्ति से सराबोर रचनाएँ वातावरण को सुवासित करती रही।अमित पण्डा ने व्रती के शब्दों में छठी मईया की आराधना करते हुए कहा ‘कर जोड़ खड़ी जल के भीतर में सुहागन आस लगाए, रजनी बीती आ जाओ देव अब जीवन दीप जलाए।’, डॉ. अंजू सेमवाल ने ‘छठ पूजा का है अनोखा व्रत, यह शरीर मन और आत्मशुद्धि का व्रत’ गीत सुनाया, तो विजय डांगे ने कहा ‘छठी मईया की जय जयकार करो आशीष मईया, तिथि उत्सव की आई बहार कार्तिक षष्ठी माँ।’
श्री पटले ने छठ पूजा के मूल सरोकारों को समर्पित काव्य में कहा ‘आओ मनाएं छठ पूजा घर की सुख शांति और संतान के लिए।’ डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, शोभा प्रसाद, संपत्ति चौरे, भगवान दास शर्मा, श्रीपति रस्तोगी, शालिनी बसेड़िया दीक्षित, ज्योति प्यासी, सुजीत कुमार पाण्डेय, भास्कर सिंह माणिक, राधाश्री शर्मा, पवनेश मिश्र आदि ने भी काव्य पाठ किया।
श्री पटले ने परिवारिक माहौल में प्रस्तुत रचनाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। मुख्य अतिथि ने सनातन संस्कृति की जड़ों से जुड़े साहित्यकारों को बधाई देते हुए भक्ति के सृजन दीप जलाए रखने का संदेश दिया।
दीदी राधाश्री शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया।