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अभिनय,भावना,रहस्य का मसाला ‘आर्या’

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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डिजनी हॉट स्टार की पेशकश ‘आर्या’ के निर्देशक-राम माधवानी हैं,तो कलाकार- सुष्मिता सेन,सिकन्दर खैर,चंद्रचूड़,जयंत कृपलानी,नमित दास,गार्गी सावंत,विकास कुमार,मनीष चौधरी एवं फ़्लोरा सैनी सहित अन्य हैं।
पेनोजा-पीटर बर्ट के उपन्यास पर आधारित होकर इसका लेखन-संदीप श्रीवास्तव ने किया है। इसके ९ अंक हैं। हर अंक लगभग १ घण्टे का है,जिसमें रहस्य और रोमांच के साथ भेद ऐसे गूंधे गए हैं कि दर्शक बंध जाता है। अंक-दर-अंक आप खिंचे चले जाते हैं, और आगे की श्रृंखला में बहते चले जाते हैं।
कम या ज्यादा बुराई में से एक को चुनना हो तो आप न चाहते हुए भी कम बुराई का चयन करते हैं,पर भूल जाते हैं कि कम ही सही,पर चुना तो बुराई को है। अब हम खुद बुराई के साथ चल रहे हैं,लेकिन इस बुराई में से खुद और खुद के परिवार को निकाल ले जाने की अदम्य साहस भरी कहानी ‘आर्या’ है।
२१वीं सदी की ‘मदर इंडिया’ का अत्याधुनिक संस्करण है ‘आर्या’,लेकिन उस समय की चुनौतियाँ अलग थी,आज अलग भी और उलझन भरी भी हैं।
◾कहानी⤵
३ दोस्त तेज (चंद्रचूड़),जवाहर (नमित दास) एवं संग्राम (अंकुर भाटिया) नशे का धंधा करते हैं। तेज की पत्नी(आर्या) इसके खिलाफ़ है और खिलाफत चरम पर है,तब तेज वादा करता है कि,सब-कुछ छोड़कर परिवार लेकर निकल जाएंगे। जवाहर और संग्राम एक माफिया शेखावत की अरबों रुपए की नशा सामग्री चुरा लेते हैं। इसी लफड़े में तेज की हत्या हो जाती है,और संग्राम को जेल,ऐसे में अब आर्या को न चाहते हुए भी पति के काम को जवाहर के साथ सम्भालना पड़ता है। साथ ही पति के कातिलों को खोज कर सज़ा भी देनी है।
पोलिस आर्या के पीछे,गुंडे आर्या के पीछे, डॉन आर्या के पीछे,बदकिस्मती आर्या के पीछे,लेकिन आर्या अपनी कुशलता,साहस, बहादुरी व चालाकी से इन सबसे आगे रहती है। क्या आर्या इन सबके बीच अपने पति का व्यापार बचाने के साथ पति के कातिलों को खोज पाएगी,क्या आर्या अपने परिवार की हिफाज़त कर पाएगी ??? इन जवाबों के लिए ९ अंक में प्रसारित वेब श्रृंखला देखनी बनती है।
◾सकारात्मक बिन्दु⤵
कहानी लाजवाब बन गई है। पहले भाग से ही आप चिपक जाएंगे,रहस्य-रोमांच फ़िल्म की खासियत है। जिस तरह आपको आँख पर पट्टी बांध कर निशाना लगाने को कहा जाए और आप सटीक लगा दें,बस यही इस फ़िल्म की सफलता की बानगी है।
◾अभिनय⤵
सुष्मिता सेन ने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। किरदार को ऐसे सजाया,जैसे आर्या उनके लिए ही बुना गया हो। सिकन्दर खैर भी शानदार काम कर निकले हैं। जयंत पुराने मंजे हुए कलाकार हैं,तो पूरी ईमानदारी से किरदार जीवंत बना गए हैं। चंद्रचूड़ को जितना काम मिला,उम्दा किया। शेष सहायक कलाकारों ने भी पूरी शिद्दत से किरदारों से न्याय किया है।
◾गीत-संगीत⤵
गानों के नाम पर कुछ नहीं है। बस एक पुराना गाना ‘बड़े अच्छे लगते हैं’,टुकड़ों -टुकड़ों में मिलता है। स्थल सटीक और सुंदर हैं। वेशभूषा पर भी ईमानदारी से काम किया गया है।
◾क्यों देखें⤵
सुष्मिता का शानदार अभिनय,कहानी,रहस्य ,रोमांच,कलाकारों की प्रस्तुति और कमाल का निर्देशन श्रृंखला को देखने लायक बनाता है। इसे साढ़े ३ अंक देना बेहतर है।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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