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अवसाद क्यों…हर क्षण का मजा लें

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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अवसाद(डिप्रेशन) क्यों होता है ? यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। जब कोई दु:ख में डूब जाता है,सारी दुनिया उसे काली लगने लगती है,तब व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता है,तब इसे माना जाता है। अवसाद का अर्थ मनोभावों से सम्बन्धी दुःख से होता है। अधिकतर यह देखा गया है कि जो प्रेम में ज्यादा डूबा है,और उसे प्रेम नहीं मिला,तो वह अवसाद में डूब जाता है। अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार समझता है ,प्रेम ही नहीं वरन आज की परिस्थियों को देखते हुए बहुत सारे कारण अवसाद के होते हैं। अवसाद के कारण नींद नहीं आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अवसाद बहुत सामान्य बीमारी है। इस बीमारी का समय ६-८ महीने रहता है,अगर आपके किसी बहुत प्रिय की मृत्यु हो जाए और आप दुखी हैं,तो यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। उसके दुःख में आप बहुत भावुक रहते हैं तो अवसाद का शिकार होते हैं। अगर जीवन में खालीपन महसूस कर रहे हैं तो अवसाद में हैं।
एक सर्वे के अनुसार महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अवसाद जल्दी होता है,पर मानसिक रोग-पागलपन नहीं है। जब कोई अवसाद का शिकार हो तो उसे गाना सुनना चाहिए,मस्ती करनी चाहिए। जीवन के हर क्षण का मजा लेना चाहिए,उसे कभी अकेले नहीं रहना चाहिए। उसे प्रकृति से बात करनी चाहिए। हर क्षण में आनद की अनुभूति करनी चाहिए, सामाजिक मेल-जोल ज्यादा बढ़ाना चाहिए और नकारात्मक लोगों के पास नहीं रहना चाहिए। कसरत करने से भी अवसाद दूर होता है। आप जितना मस्त रहेंगे,उतना ही अवसाद से दूर रहेंगे।
खुद को दोष न दें,जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है और एक ही बार मिली है तो मस्त रहें,और सबसे बड़ी बात अपने को व्यस्त रखें। जितना व्यस्त होंगे,उतना ही कुछ सोच नहीं पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलिए और हर समय कुछ सीखिए।
अपना बचपन याद करें,कभी-कभी उनकी तरह हरकत करें,अवसाद बहुत जल्दी दूर हो जाएगा। जब शरीर आप साथ नहीं ले जा सकते,तो बाकी क्या ले जा पाएंगे। जो कुछ आज है अभी है,कल किसने देखा है ? दूसरों को ख़ुशी दीजिए। यदि आपने कभी कोई पुरस्कार पाया है,तो उस लम्हे को याद कीजिए। आप अपने आत्मविश्वास को कभी कम मत करिए। दुनिया में आप अपने को, अपनी क़ाबिलियत को पहचानें और धीरे-धीरे काम दुबारा शुरू करें,आपको सफलता मिलेगी और आप कभी अवसाद में नहीं आएंगे।

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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