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मुस्कान के रंग

सुश्री नमिता दुबे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मुस्कान के होते हैं
कई अजीब रंग,
कभी मासूम
कभी मादक तो,
कभी अहंकारी
होती है मुस्कान।

राग के ह्रास को
मिटाती है मुस्कान,
बड़े-बड़े काम को
चुटकियों में आसां,
बनाती है मुस्कान।

मुस्कान ने रचे
कई इतिहास हैं,
कभी
मुस्कान के अस्त्र से,
कई ऋषि-मुनियों की
तपस्या भंग हुई,
महायुद्ध के बीज बो गई
कभी द्रोपदी की मुस्कान।

कृष्ण की मुस्कान को भी
समझना नहीं था आसां,
यही मुस्कान किसी
राजा को रंक और,
रंक को राजा बना गई।

मुस्कान के राज़ को
समझ ले ऐ इंसान,
इंसानियत को अपना बना
प्यार से जीत ले जहान।
मुस्कान की मासूमियत से
संसार को संवार कर,
फिर नये इतिहास का
प्रणेता बन जा ऐ इंसान….॥

परिचय : सुश्री नमिता दुबे का जन्म ग्वालियर में ९ जून १९६६ को हुआ। आप एम.फिल.(भूगोल) तथा बी.एड. करने के बाद १९९० से वर्तमान तक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। आपका सपना सिविल सेवा में जाना था,इसलिए बेमन से शिक्षक पद ग्रहण किया,किन्तु इस क्षेत्र में आने पर साधनहीन विद्यार्थियों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर जो ख़ुशी तथा मानसिक संतुष्टि मिली,उसने जीवन के मायने ही बदल दिए। सुश्री दुबे का निवास इंदौर में केसरबाग मार्ग पर है। आप कई वर्ष से निशक्त और बालिका शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। वर्तमान में भी आप बस्ती की गरीब महिलाओं को शिक्षित करने एवं स्वच्छ और ससम्मान जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। २०१६ में आपको ज्ञान प्रेम एजुकेशन एन्ड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा `नई शिक्षा नीति-एक पहल-कुशल एवं कौशल भारत की ओर` विषय पर दिए गए श्रेष्ठ सुझावों हेतु मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा और कौशल मंत्री दीपक जोशी द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा श्रेष्ठ शिक्षण हेतु रोटरी क्लब,नगर निगम एवं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संगठन द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।  लेखन की बात की जाए तो शौकिया लेखन तो काफी समय से कर रही थीं,पर कुछ समय से अखबारों-पत्रिकाओं में भी लेख-कविताएं निरंतर प्रकाशित हो रही है। आपको सितम्बर २०१७ में श्रेष्ठ लेखन हेतु दैनिक अखबार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। आपकी नजर में लेखन का उदेश्य मन के भावों को सब तक पहुंचाकर सामाजिक चेतना लाना और हिंदी भाषा को फैलाना है।

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