कुल पृष्ठ दर्शन : 246

You are currently viewing राष्ट्र प्रेमी अनुपम अटल जी

राष्ट्र प्रेमी अनुपम अटल जी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
**************************************************

श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….

बाल ब्रह्मचारी,शत्रु विहीन,सर्वप्रिय,वाकपटु, सौम्य व हँसमुख स्वभाव वाले अटल जी के लिए जितना लिखा जाए,वह कम ही पड़ेगा, क्योंकि आज के समय में इतने गुण लिए कोई नेता नजर नहीं आता। वे ऐसे प्रखर ओजस्वी वक्ता थे,जिनको सुनने घोर विरोधी भी लालायित रहते थे। मैं कोलकात्ता में अटल जी की सभा को ठसाठस भरे मैदान में सुनने गया,तब अनेक वामपंथियों व कांग्रेसियों को पेड़ पर बैठ उनको सुनते देखा है। पूछने पर जबाब यही होता कि हम भी ऐसा भाषण देना सीखने के लिए ही इनको सुनने केवल आते ही नहीं हैं,परन्तु इनके आडियो भी सुन घर पर अभ्यास के साथ- साथ लोगों को सम्बोधित करने का प्रयास भी करते हैं।
एक बार,अटल जी की वाकपटुता के कायल उस समय के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखने के लिए लोकसभा के विरोधी दल नेता अटल जी से जब आग्रह किया,तब सभी भौंचक्के रह गए लेकिन सभी ने यह भी माना कि इनसे बढ़िया दूसरा हमारे पास है भी नहीं। अटल जी ने वहाँ जो सम्बोधन दिया,उससे विश्व वाले भी अचंभित हो गए,और यह वाकया अपने राजनीतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
अटल जी ज़्यादातर धोती-कुर्ता और बंडी पहना करते थे,खानपान के शौकीन थे और राजनीति में सक्रियता के दौरान अनुकूल माहौल नहीं मिल पाने के बारे में खुलकर बोलते भी थे।
उनका कवि हृदय अपने राजनीतिक व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी समय निकाल ही लेता था। एक तरफ उनकी कविताओं में जहाँ राष्ट्र प्रेम देखने
को मिलता है,वहीं प्रकृति प्रेम वगैरह भी।
एक बार सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ‘आज़ादी’ के विचार पर अपने करिश्माई अंदाज़ में बोला था और इसके लिए ख़तरा पैदा करने वालों पर बरसे थे। वाजपेयी जी ने कहा था-
‘इसे मिटाने की साज़िश करने वालों से कह दो,
कि चिंगारी का खेल बुरा होता है;
औरों के घर आग लगाने का जो सपना,
वो अपने ही घर में सदा खड़ा होता है।’
अटल जी की उक्त पंक्तियाँ इतनी मशहूर हो गई कि आज के राजनेताओं को ही नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन में कार्यरत लोगों को अपने सामने वालों को या समर्थकों को कहते-सुनने मिल ही जाता है-
‘हार नहीं मानूंगा,रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँँ,
गीत नया गाता हूँँ।’
जय हिन्द।

Leave a Reply