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हिंदुस्तान की आँखों के तारे

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….

हे भारत के अनमोल रत्न हिंदुस्तान के राजदुलारे,
हे धरतीपुत्र,हे हिंदुस्तान की आँखों के तारे।

याद आपकी जब आती, छलक जाते आँसू हमारे,
क्या कहूं कैसे कहूं,कैसे मैं लिखूं गुण तुम्हारे।

हे भारत के राजदुलारे,हे भारत की आँखों के तारे,
नहीं था मन में भेदभाव सद्भावना से थे आप भरे।

हिंदुस्तान के दिल में रहते थे,सत्य पथ पर ही चलते,
किसी की आँखों में आँसू आए तोआप पहले रो जाते।

पूरे देशवासी गुणगान करते रहते थे आपका,
सन १९२४ दिसम्बर २५ जन्म दिन है आपका।

नमन मैं माता को करती,जो लाई आपको भू पर,
बहुत सुहावना होगा वो शहर,जो है ग्वालियर।

नमन करूं गुरु चरणों को जो उच्च कोटि का ज्ञान दिया,
हर धर्म के लोगों ने आपको बहुत ही मान-सम्मान दिया।

देश के हर नागरिक को,आप एकता का ज्ञान दिए,
आप महाज्ञानी प्रधानमंत्री,देश को नई दिशा दिए।

आप पूरे देशवासियों को बस यही संदेशा देते थे,
राजनीति में हार जीत का अहम हिस्सा बताते थे।

मेरे प्यारे देशवासियों कभी भी उदास न होना,
हम सब धरती के पुत्र हैं,अपनी संजय मत खोना।

सिखलाए हैं आप हिंदुस्तान को नया सवेरा हो गया,
खत्म हुआ दिन बर्बादी का,तम का भोर मिट गया।

विचार था आपका कठिन दौर में,देश का अस्तित्व बचाने का,
कोई भी घर में भूखा ना रहे,दो जून की रोटी उन्हें खिलाने का।

हे भारत के राज दुलारे,भारत माँ की आँखों के तारे,
जब तक भू पर रहे,आपने देश-विदेश किए उजियारे।

आपके सौजन्य से ही देश में कमल फूल खिल गया,
हर्षित हुआ देश,वासियों को जब कमल फूल मिल गया।

अंतिम क्षण कह गए आप हर नारी की लाज बचाना है,
बेटा उनका गया है सीमा पर,माँ को दु:ख से बचाना है।

टूट गया था हिंदुस्तान,हर आँख में आँसू आया था,
जब धरती में आपको,स्वर्ग से बुलावा आया था।

छोड़ गए अनुजों को,पिता तुल्य प्रधानमंत्री अटल जी,
रुदन मचा था हिंदुस्तान में,जब स्वर्ग सिधारे अटल जी।

आज भी सबके दिलों में उनका नाम है,और रहेगा,
हमारे अटल जी थे,अटल जी हैं,और अटल जी रहेंगे॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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