डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’
नागपुर(महाराष्ट्र)
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मित्रों,आप सभी को नववर्ष २०२० की हार्दिक शुभकामनाएं। नवीन वर्ष सभी अपने हिसाब से प्रतिवर्ष मनाते ही हैं। खाते हैं,पीते हैं,मनोरंजन करते हैं और फिर पहली तारीख को खुमार उतारते हैं। फिर सभी अपने-अपने काम-धंधे में लग जाते हैं। प्रतिदिन जैसा यह मानकर चला जाता है कि नये वर्ष का हमने स्वागत कर लिया है,फिर नये वर्ष का उन्माद समाप्त हो जाता है। मैं समझता हूँ कि नया वर्ष सभी कुछ करने के साथ ही कुछ संकल्प करने के लिए भी आता है,जिसे हम सामान्यतः नहीं करते हैं। आनंद की बात यह है कि हम सभी जानते हैं,उन संकल्प का महत्व भी समझते हैं,परंतु करते नहीं हैं। उन संकल्पों पर यहाँ आपका ध्यान चाहूँगा,जिनका हमें पालन करना चाहिए-
-हमें अपनी सेहत की स्वस्थता पर ध्यान देना चाहिए। कुछ समय निकालकर सुबह की सैर और नियमित कसरत करना चाहिए।
-आज हमें शांति की बहुत आवश्यकता है। विदेशी सैलानी हमारी संस्कृति और सभ्यता को देखने से ज्यादा शांति प्राप्त करने यहां आते हैं। शांति के लिए योगाभ्यास-ध्यान नियमित करना चाहिए।
-हमारे देश में गरीबी और गरीब बहुत हैं,जिन्हें भोजन,कपड़ा,मकान वगैरह नहीं मिल पाता। उन्हें पुराने कपड़े और बचा हुआ भोजन देकर पुण्य का भागी बना जा सकता है।
-हम अपने सपनों को साकार करने के लिए नये वर्ष में योजना बना सकते हैं। उसके क्रियान्वयन के लिए विशेष प्रयास कर सकते हैं।
-नये वर्ष में अपनी उन बुरी आदतों को छोड़ने या कम करने का संकल्प ले सकते हैं,जो भी नुकसानदेह हो।
-अगर किसी कला में रूचि रखते हैं तो उस क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। आप अपने जीवन में कुछ नया कर सकते हैं,जिसे आपके परिवार में,किसी ने नहीं किया हो।
-हम अपने खान-पान में नियंत्रण रख सकते हैं। जो वस्तुएं सेहत को नुकसान पहुंचा रही है,उसे कम कर सकते हैं या छोड़ सकते हैं। मैंने सिगरेट और पान वर्षों पहले से छोड़ दिया है।
-आपका परिवार आपको बहुत प्यार करता है। आप परिवार के लिए समय निकालिए,बच्चों-बड़ों के साथ घूमने जाइये। आप जितना भी संभव हो,उन्हें अपना कीमती समय दीजिये।
-परिवार में बड़े-बूढ़ों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें सम्मान और आदर देने से उनका हृदय से आशीष हमें मिलता है और वही आशीर्वाद विपरीत समय में हमारी रक्षा करता है।
-किसी समाजसेवी संस्था से जुड़कर परोपकारी कार्य में सहयोग देना चाहिए। ज़रूरतमंदों की मदद करने का मतलब होता है,आप नारायण की सेवा कर रहे हैं।
-अच्छी,ज्ञानवर्धक या अपनी रूचि की किताब,साहित्य जो भी आपको पसंद हो,उसे नियमित पढ़ना चाहिए। इससे नये विचार आते हैं और आपमें ऊर्जा का संचार होता है। आपकी सक्रियता में इज़ाफा होता है।
-बड़ी बात यह है कि बच्चे आपको देखकर ही अच्छी-बुरी आदतें सीखते हैं। बच्चों की प्रेरणा आप बनें तो आपको हर कार्य श्रेष्ठ करना चाहिए। बच्चों को सिखाएं कि वे स्वावलंबी बनें। अपना कार्य खुद करें। अपना खुद का कार्य स्वयं करने वाले बच्चे बेहतर होते जाते हैं।
-नये साल में उन बीते दिनों को धन्यवाद कहना मत भूलिए,जिनकी सीढ़ियों पर चढ़कर आप यहाँ तक पहुंचे हैं।
-मैं परिचित-अपरिचित से भी साल के अंतिम दिवस,जाने-अनजाने में हुई गलतियों की क्षमा मांगना कभी नहीं भूलता।
अगर इतना ही कर लें तो समझता हूँ कि नये वर्ष का स्वागत इससे अच्छा नहीं हो सकता,और हमारा नया साल बन जाएगा सबसे सुखद,सफल और सुकून से भरा साल।
परिचय-डाॅ. मधुकर राव लारोकर का साहित्यिक उपनाम-मधुर है। जन्म तारीख़ १२ जुलाई १९५४ एवं स्थान-दुर्ग (छत्तीसगढ़) है। आपका स्थायी व वर्तमान निवास नागपुर (महाराष्ट्र)है। हिन्दी,अंग्रेजी,मराठी सहित उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले डाॅ. लारोकर का कार्यक्षेत्र बैंक(वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त)रहा है। सामाजिक गतिविधि में आप लेखक और पत्रकार संगठन दिल्ली की बेंगलोर इकाई में उपाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-पद्य है। प्रकाशन के तहत आपके खाते में ‘पसीने की महक’ (काव्य संग्रह -१९९८) सहित ‘भारत के कलमकार’ (साझा काव्य संग्रह) एवं ‘काव्य चेतना’ (साझा काव्य संग्रह) है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में मुंबई से लिटरेरी कर्नल(२०१९) है। ब्लॉग पर भी सक्रियता दिखाने वाले ‘मधुर’ की विशेष उपलब्धि-१९७५ में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण(मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व) है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी की साहित्य सेवा है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद है। इनके लिए प्रेरणापुंज-विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन(नागपुर)और साहित्य संगम, (बेंगलोर)है। एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड.,आयुर्वेद रत्न और एल.एल.बी. शिक्षित डाॅ. मधुकर राव की विशेषज्ञता-हिन्दी निबंध की है। अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कार। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
“हिन्दी है काश्मीर से कन्याकुमारी,
तक कामकाज की भाषा।
धड़कन है भारतीयों की हिन्दी,
कब बनेगी संविधान की राष्ट्रभाषा॥”