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‘अश्वत्थामा’ अमर है

रणदीप याज्ञिक ‘रण’ 
उरई(उत्तरप्रदेश)
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नई नहीं,पुरानी हो चली एक बात है,
‘अश्वत्थामा’ मारा गया युधिष्ठिर का उवाच है लेकिन ‘अश्वत्थामा’ अमर है कृष्ण का यह अभिशाप है,
युधिष्ठिर ने क्या झूठ बोला ? फिर से जानने की यह बात है।
फिर से गर्भ पर हमला हुआ देखने की यह बात है,
लेकिन हाँ ‘अश्वत्थामा’ मार दिया गया
युधिष्ठिर का सत्य ही उवाच है,
जंगल और शहर के रहने वालों की यह बात है।
शहर के ‘अश्वत्थामा’ ने जंगल के ‘अश्वत्थामा’ को मारा,
पुरानी नहीं,अभी की ही एक बात है…॥

परिचय–रणदीप कुमार याज्ञिक की जन्म तारीख १३ मई १९९५ है। साहित्यिक नाम `रण` से पहचाने जाने वाले श्री याज्ञिक वर्तमान में वाराणसी में हैं,जबकि स्थाई बसेरा उरई(जालौन)है। वर्तमान में एम.ए (द्वितीय वर्ष) के विद्यार्थी और कार्यक्षेत्र भी यही है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत अपने लेखन के माध्यम से विचारों का सम्प्रेषण करते हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,कविता, कहानी और लेख है। प्रकाशन के तहत वर्तमान में कार्य(बुन्देखण्ड से संबंधित इतिहास पर)जारी हैl रण की लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त रूढ़ियों को तोड़ना,अंधविश्वास को दूर करना, नागरिक बोध की समझ विकसित कराने के साथ-साथ निष्पक्ष सोच की मानसिकता को पैदा कराने का प्रयास है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता-पिता,शिक्षकगण तथा मित्रगण हैं।भाषा ज्ञान-हिन्दी,बुन्देलखण्डी एवं अंग्रेजी का रखते हैं। रुचि-लेखन,खेल और पुस्तकें पढ़ने में है।

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