बात
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बात हिय की बताते चले,कष्ट मन का दबाते चले। पीर हमसे छिपाई सदा,चार खुशियाँ गिनाते चले। जानती है प्रिया पीर सब,आँख उससे चुराते चले। प्रीत की जीत होती…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बात हिय की बताते चले,कष्ट मन का दबाते चले। पीर हमसे छिपाई सदा,चार खुशियाँ गिनाते चले। जानती है प्रिया पीर सब,आँख उससे चुराते चले। प्रीत की जीत होती…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* जीना जैसे पिता... दो मनुष्यों के आनंद-फुर्ती का नतीजा,एक तीसरे मनुष्य का पदार्पण होनायही इस सृष्टि का शाश्वत नियम है,एक जनक कहलाता एक जननी।…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* प्रेम मधुर इक भावना, प्रेम प्रखर विश्वास।प्रेम मधुर इक कामना, प्रेम लबों पर हास॥प्रेम सुहाना है समां, है सुखमय परिवेश।पियो प्रेमरस डूबकर, रहे संग नित आस॥…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जीना जैसे पिता... 'पिता' पिता होते हैं, यदि 'पिता' नहीं तो हम नहीं,'पिता से ही संसार है, और नहीं तो कुछ भी नहीं। 'पिता' उंगली पकड़कर…
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* अहसासों की बस्ती में, जीवन की उस कश्ती में,बचपन याद बहुत आता है, जो जियें उस मस्ती में। हर एक शख्स की एक रेत, जो माँ के…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** आप ना होतेसंसार न मिलताहम ना होते। पेड़-सी छायाजीवन वटवृक्षपिता ही काया। माँ सम नहींधीर-गम्भीर होतेवो कम नहीं। सब सिखायाथामी सदा अंगुलीबने वे साया। करूँ प्रणामसर्वोत्तम हैं…
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** ना सहमत हो, कोई बात नहीं,बहस करो तुम जरूर, लेकिनपहले समझ तो लो बात को,फिर सोचना, फिर कहना। कभी कोई चाहे है कुछ कहना,बीच में उसे कभी टोको…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* जीना जैसे पिता,,, पिता के प्रेम की कहाँ शुरू करूँ मैं बात,पिता हृदय रहे अनुपम स्नेह दिन औ रातहर दिन करते कर्म सदा जीवन दाता…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** जीना जैसे पिता... समर्पित प्यार के श्रंगार को,हृदय तल से नमनउन्नत खोज के इस संसार को,दिल से नमनपेड़ की छाया देने वाले,सर्वोत्तम अवतार कोअन्तर्मन से है नमन। यह पिता…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** मानवता की पीड़ा का,आक्रोश किस तरह शमन करें ?मन मसोसकर अपने ही,पौरुष का कब तक दमन करें ? लोकतंत्र के नाम जहां पर,रक्त बहाया जाता होजहां धर्म…