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प्रेम प्रखर विश्वास

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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प्रेम मधुर इक भावना, प्रेम प्रखर विश्वास।
प्रेम मधुर इक कामना, प्रेम लबों पर हास॥
प्रेम सुहाना है समां, है सुखमय परिवेश।
पियो प्रेमरस डूबकर, रहे संग नित आस॥

प्रेम हृदय की चेतना, प्रेम लगे आलोक।
प्रेम रचे नित हर्ष को, बना प्रेम से लोक॥
प्रेम एक आनंद है, जो जीवन का सार।
प्रेम राधिका-कृष्ण है, दूर करे हर शोक॥

राँझा है,अरु हीर है, प्रेम मिलन है, गीत।
प्रेम सुखद अहसास है, प्रेम मनुज की जीत॥
प्रेम रीति है,नीति है, पावनता का भाव।
प्रेम जहाँ है, है वहाँ चंदा की मृदु शीत॥

प्रेम गीत,लय,ताल है, प्रेम सदा अनुराग।
प्रेम नहीं हो एक का, प्रेम सदा सहभाग॥
पीकर मानव प्रेमरस, जग से रखे लगाव।
प्रेम मिले तो सुप्तता, निश्चित जाती भाग॥

खिली धूप है प्रेम तो, प्रेम सुहानी छाँव।
पावन करता प्रेम नित, नगर, बस्तियाँ,गाँव॥
पीता है जो प्रेमरस, वह पीता उपहार।
प्रेम भटकते को सदा, देता है नित ठाँव॥

प्रेम सदा अमरत्व है, प्रेम सदा गतिमान।
प्रेम पियो,फिर नित जियो, पूर्ण करो अरमान॥
प्रेम बिना अवसान है, प्रेम बिना सब सून।
प्रेमपान करके मनुज, पाता है नव शान॥

प्रेम मिले तो ज़िन्दगी, पाती है उत्थान।
प्रेम मिले तो ज़िन्दगी, पाती सकल जहान॥
प्रेम एक है चेतना, प्रेम ईश का रूप।
जो पीते हैं प्रेमरस,पाते नवल विहान॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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