हनुमान भजन लेखन प्रतियोगिता हेतु रचना आमंत्रित

लखनऊ (उप्र)। इंटरनेशनल रामायण ट्रस्ट द्वारा नि:शुल्क एवं उम्र सीमा रहित हनुमान भजन लेखन प्रतियोगिता (ऑनलाइन) कराई जा रही है। इस स्पर्धा की अंतिम तारीख अब १५ मार्च २०२३ है।…

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दम तोड़ती स्त्री

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह नज़र नहीं आती है,ग़म की चादर बड़ी विषैलीमृतप्राय: होती हैसुहाग वाली चुनरी नहीं है अब,ग़म की चादर बड़ी विषैली दिखती है अब,नर पिशाचों की भीड़ मेंजान सिसकती बेबस…

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होड़ बढ़ी, खिलवाड़ किया

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** प्रकृति और खिलवाड़... पावन प्रकृति के आँचल में जब, मानव ने खोली आँखें थी,कितना निश्छल रहा मानव होगा ? खिलती उसकी बांछें थी। वक्त गुजरा तो…

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समंदर में ‘मुझे कुछ कहना है…’ पुस्तक विमोचित

मुंबई (महाराष्ट्र)। अवधी-मराठी कला अकादमी से प्रकाशित डॉ. रमाकांत क्षितिज द्वारा रचित हिन्दी पुस्तक (काव्य संग्रह) 'मुझे कुछ कहना है…' का विमोचन समाजसेवी भगवान तिवारी ने समंदर की लहरों के…

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धन्य-धन्य भारत मही

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक)*********************************************** महिमामण्डन भारती, परमवीर बलिदान।धन्य-धन्य भारत मही, नूतन अनुसंधान॥ हिन्द देश पावन मही, संघर्षक प्रतिमान।विजयी नित पुरुषार्थ से, पाये यश सम्मान॥ वीरों से सज्जित मही, महाशक्ति…

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दर्द सहता है

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दिल में जज्बात यही दर्द सभी सहता है।कुछ बयां हो न सके चुप ये तभी रहता है। आह भरता है मगर कुछ न कभी…

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ज्ञानचंद मर्मज्ञ की कविता व निबंध विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल

बेंगलुरू (कर्नाटक)। बेंगलुरु के प्रतिष्ठित साहित्यकार ज्ञानचंद मर्मज्ञ की कविता 'मैं दीपक हूँ जलूँगा' और निबंध 'मैं हिंदी बोल रही हूँ' संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र) के बी.ए.(प्रथम वर्ष)…

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मत पहुंचाओ क्षति

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** प्रकृति और खिलवाड़... धरती का श्रृंगार है प्रकृति,जीवनदायिनी कहलाती हैफल, फूल और वनस्पति से,आँगन-आँगन महकाती है। हरा-भरा बनाती उपवन,सुनहरे पुष्प खिलाती हैधूप से जो जल जाए तन,रिमझिम…

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मानसिक प्रदूषण दूर करना और सीमित होना होगा

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** प्रकृति और खिलवाड़... जब व्यक्ति पैदा होता है, वह नैसर्गिक होता है। हमारे चारों तरफ पेड़, पौधे, वृक्ष, नदियाँ, पहाड़ आदि भी नैसर्गिक होने पर बहुत सुन्दर दिखाई…

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असहनीय और अवैध

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** प्रकृति और खिलवाड़... दो तर्क पूर्णता से घिरे सवाल ?दोनों ही सवालों के हैंएक पूरक सबल‌,जवाब।प्रकृति ब्रम्हांड की,ईश्वरीय देन हैपृथ्वी का सौन्दर्य शान,प्रकृति प्राणवायु का सचित्रस्वरूप में…

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