अब वैसा नहीं मायका

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ पहले-पहल जब जाते थे हम,बढ़ जाती थी दिल की धड़कनरह-रह कर दिखते थे सपने,कैसे होंगे वहाँ सब अपने। माँ-बाबूजी घर की ड्योढ़ी में,लेते थे बढ़…

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मैं बनफूल

अलका ‘सोनी’पश्चिम वर्धमान(पश्चिम बंगाल)*************************************** उपवनों में खिले,काट-छांट करकतारबद्ध किएपुष्पों की छटा कभी,मैं नहीं ला पाताअपने अंदर। माली के हाथों से,पड़ने वाली फुहारों सेभींज नहीं पाती,मेरी जड़ेंजितनी बार यहां,लगाया गया,उतनी बारमुरझाता…

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महँगाई की मार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* महँगाई की मार से,हर जन है बेहाल।निर्धन भूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल॥ महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिन-रात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात॥ महँगाई में हो…

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पटाखे एवं आबादी प्रदूषण:मिलकर सुधारना होगा

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** हम कैसे अपेक्षा रखें भारतीयों से कि वे अनुशासन में रहेंगे ? जब बच्चा ६ माह का होता है उस समय जब वह कूदने लगता है। उस समय…

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मोहब्बत और धोखा

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** दिन-रात जिन्हें,हम याद करते हैं,वो ही अबदूर हो गए हैं।समय के अनुसार लोग,दिल से खेल गएवफा की उम्मीदें लगाकर,खुद धोखा खा गए।अब मोहब्बत नाम से ही,नफरत होने…

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दीप-दीप में फर्क

मीरा जैनउज्जैन(मध्यप्रदेश) ************************************************ दीपमलिकाएं इठलाती,लहराती अपना प्रकाश बिखेर दीपावली पर्व को सार्थक करती हुई इतनी हर्षित थी कि,जैसे उनके प्रकाश के बगैर दीपावली का पर्व ही अधूरा हैl वह इस…

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मन का मैल

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** मन का मैल धुला नहीं,उबटन लगाए क्या फायदा…आँखों में नफरत की कालिख बटोरे,मुख से मीठे बोल बोलने,दिल के भेद न छुप पाएंगे,यूँ दुनिया के सामने…प्यार दिखाने से…

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बने दीप मुस्कान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** दीप जले सुख सम्पदा,बने दीप मुस्कान।जले दीप भारत चमन,जले दीप बलिदानll जले दीप परमार्थ का,जले दीप गणतंत्र।संविधान दीपक जले,संघ शक्ति हो मंत्रll सज दीपों…

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मेरी हमसफ़र ‘बैशाखी’

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** सच पूछिए तो मैं…कभी अकेला नहीं रहता,क्योंकि मैं,जब भी…कहीं भी जाता हूँ…मेरा हमसफर…सदैव मेरे साथ रहता है…।यह सच है..मैं उसके बिना,एक कदम भी नहीं चल पाता…।आज…

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ऐसे ही सारा संसार सजाना है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** हम एकसाथ बैठे जिस पर,वह नौका पार लगाना है,हो भारत एक श्रेष्ठ भारत,सपना साकार बनाना है। नहीं निर्धनता का क्रन्दन हो, नहीं जाति धर्म का बन्धन हो। जिस…

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