त्याग की मूरत हैं माँ-बाप
कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** धरती पर त्याग और स्नेह की मूरत है माँ-बाप,सूरज बन रोशन करेंअन्न,पानी,दे पोषण करें,दिन-रात एक कर पूरे करेंअपनी संतानों के ख्वाब।एक बीज से पौधा बना,दुनिया में अस्तित्व…