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पूरे विश्व में लिखी और पढ़ी जा रही है लघुकथा

सिवानी मंडी(हरियाणा)।

बच्चा सबसे पहले माँ से लोरी सुनता है और फिर दादी-नानी से कहानी। इसलिए कविता के बाद कहानी हर युग में सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यिक विधा रही है। लघुकथा पूरे विश्व में लिखी और पढ़ी जा रही है।
यह कहना है नेपाल संगीत एवं नाटक अकादमी(पोखरा) के पूर्व अध्यक्ष तथा ६० पुस्तकों के लेखक सरुभक्त श्रेष्ठ का। मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट के ‘अंतरराष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन’ में उन्होंने कहा कि लघुकथा कथा-परिवार की ही एक नई विधा है,जो अलग-अलग नामों और रूपों में पूरे विश्व में लिखी और पढ़ी जा रही है। इसमें वर्ष २०२० का ११००० रुपए का ‘डॉ. मनुमुक्त ‘मानव’ अंतरराष्ट्रीय लघुकथा पुरस्कार’ बेल ऐर (मॉरीशस) के विश्वविख्यात कथाकार रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया।
सम्मेलन’ में गुजरात सिंधी अकादमी (अहमदाबाद) के पूर्व अध्यक्ष व लेखक डॉ. हूंदराज बलवाणी ने लघुकथा को जीवन से जुड़ी एक जीवंत विधा बताया,तो नेपाल सरकार के मुखपत्र दैनिक ‘गोरखा-पत्र’ के प्रधान सम्पादक तथा ‘नेपाली लघुकथा समाज’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीओम श्रेष्ठ ‘रोदन’ ने स्पष्ट किया कि लघुकथा आकार में भले ही छोटी हो,लेकिन इसका प्रभाव बहुत गहरा होता है। कुलपति डॉ. उमाशंकर यादव सहित डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र,वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. रामनिवास ‘मानव’ आदि ने भी अपनी बात रखी। सम्मेलन में भारत,नेपाल,जापान, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस सहित १४ देशों के लघुकथाकारों ने सहभागिता की। सम्मेलन में टोक्यो (जापान) की रमा शर्मा ने ‘आँखों देखा झूठ’,मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) की डॉ. उर्मिला मिश्रा ने ‘तिनका’ और मंजुला ठाकुर ने ‘स्नेह वर्षा’ आदि लघुकथा से पाठकों को शिक्षा दी।
सम्पादक मृत्युंजय प्रसाद गुप्ता, रामस्वरूप दीक्षित,रमेश‌ मस्ताना,डॉ. मंजू गुप्ता,डॉ. पीए रघुराम,डॉ.संतोष कुमार शर्मा,सिवानी मंडी से डॉ. सत्यवान सौरभ एवं सुनीता सेन की उपस्थिति लघुकथा के आँगन को उत्साह से भरती नज़र आई।

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