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बॉलीवुड की नयी ‘थाली’ नीति

नवेन्दु उन्मेष
राँची (झारखंड)

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बॉलीवुड विश्वविद्यालय की ई-संगोष्ठी (वेबिनार) आयोजित थी। विश्वविद्यालय के कुलपति और सभी विभागाध्यक्ष बॉलीवुड की नयी शिक्षा नीति से लेकर थाली नीति पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। वे बतला रहे थे कि अब विश्वविद्यालय में थाली नीति को भी शामिल कर लिया गया है। थाली नीति के आने से यहां पढ़ने-वाले सभी अभिनेता- अभिनेत्रियों के व्यक्तित्व विकास में काफी हद तक मदद मिलेगी। नवागंतुक अभिनेत्रियों को पता चलेगा कि यहां एक थाली प्राप्त करने के लिए अब पापड़ नहीं बेलने पड़ते,बल्कि थाली में छेद करना सीखना होता है।
इसी बीच विश्वविद्यालय के कुलपति ने संगोष्ठी में एक छेद वाली थाली दिखा दी और कहा कि बॉलीवुड के लोग जिस थाली में खाते हैं,उसमें छेद कर देते हैं। इस थाली में जितने अभिनेता-
अभिनेत्रियों ने खाया,सभी ने छेद कर दिया। इसलिए,यह एक ऐतिहासिक थाली है। इसे दिखा नवागंतुक अभिनेता-अभिनेत्रियों को शिक्षा दी जाएगी।
विश्वविद्यालय के अपराध विभाग के अध्यक्ष ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अब तक बॉलीवुड के लोग फिल्मों में तस्करी करना,मादक पदार्थ लेना,सिगरेट पीना,दारू पीना,प्रेम विवाह करना,लड़की छेड़ने आदि की शिक्षा देश को दे चुके हैं,लेकिन अब वे इस कोर्स के लागू हो जाने से थाली में छेद करने का भी संदेश फिल्मों से देंगे। वैसे देश की थाली में छेद करके दाउद इब्राहिम, विजय माल्या,नीरव मोदी आदि विदेश फरार हो चुके हैं।
वेबिनार में विचार व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के प्रेम विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि देश के लोगों को पहले प्यार करना नहीं आता था। लोगों को प्रेम
करना बॉलीवुड के लोगों ने ही सिखाया। इसीलिए तो उन्होंने गीत भी लिखा-‘प्यार किया नहीं जाता,हो जाता है। उन्होंने बताया कि,बॉलीवुड में थाली का
अधिक महत्व है। थाली पाने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। अब तो बॉलीवुड के लोगों का दिल थाली में ही बसता है।

परिचय–रांची(झारखंड) में निवासरत नवेन्दु उन्मेष पेशे से वरिष्ठ पत्रकार हैं। आप दैनिक अखबार में कार्यरत हैं।

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