अलका ‘सोनी’
पश्चिम वर्धमान(पश्चिम बंगाल)
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अपनी मिट्टी की
वो सौंधी सी
खुशबू लिए,
तुम फिर आना।
प्रीत की झीनी
चुनर लिए,
तुम फिर आना।
मिले थे जहाँ हम,
पहली बार
हाँ,वहीं
एक बार आना,
कुछ लम्हें, कुछ पल
बातें करने को मुझसे,
तुम हज़ार लाना।
लेकिन,
वो अंतर्द्वंद्व
चुप्पी,और अधूरापन
उन सबको,
दूर पीछे
कहीं अपने छोड़ आना।
पूजन में प्रयुक्त,
कलश की भांति
भाव से भरकर,
पुर्णाहुति दे पाओ
जब तप को मेरी,
तब तुम शिव
बनकर आना।
तब तक,
एक नया रूप
नया जीवन पाने की,
इस यात्रा में
हम अजनबी
बन जाते हैं।
है कितनी दूरी,
इन जन्मों की
काल के पंखों से,
चलो नाप आते हैं…॥
परिचय-अलका ‘सोनी’ का जन्म २३ नवम्बर १९८६ को देवघर(झारखंड)में हुआ है। बर्नपुर(पश्चिम बंगाल)में आपका स्थाई निवास है। जिला-पश्चिम वर्धमान निवासी अलका ‘सोनी’ की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) व बी.एड. है। लेखन विधा-कविता,लघुकथा व आलेख आदि है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आपको अनेक मंचों द्वारा सम्मान-पुरस्कार दिए गए हैं। लेखनी का उद्देश्य-आत्मसंतुष्टि व समाज कल्याण है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेरणापुंज रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं ‘निराला’ हैं। इनका जीवन लक्ष्य-साहित्य में कुछ करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिंदी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है और आगे भी सकारात्मक बदलाव होंगे।’