नई क़लम ने ‘पितृ दिवस’ पर कराया कवि सम्मेलन
इंदौर (मप्र)। जीवन में पिता का महत्व कुछ शब्दों में या कुछ पंक्तियों में बताना असंभव है। हमारे जन्मदाता होने के साथ ही वे हमारे प्रथम गुरू भी होते हैं।…
इंदौर (मप्र)। जीवन में पिता का महत्व कुछ शब्दों में या कुछ पंक्तियों में बताना असंभव है। हमारे जन्मदाता होने के साथ ही वे हमारे प्रथम गुरू भी होते हैं।…
डॉ. अमरनाथ शर्माकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)****************************************** विशेष श्रंखला:भारत भाषा सेनानी जॉन बोर्थविक गिलक्रिस्ट(जन्म-१९ जून १७५९)ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने हिन्दुस्तान की जातिय भाषा की सबसे पहले पहचान की,उसके महत्व को रेखांकित…
डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ********************************************************************** नख से,शिख तक,दिल से,जुंबा तक।त्वचा की,नस-नस में,खून के,उबाल तकll लोग कहते हैं,आत्मा है,शरीर है।जानता हूँ,मैं ये,तुम्हारा,एहसास हैll एक बिंब है,एक चित्र है,कैनवास में उकेरी,तस्वीर…
ओमप्रकाश मेरोठाबारां(राजस्थान)********************************************************************* सावन का महीना है कितना प्यारा,काले-काले बादल,दिल हुआ आवाराl हर पंछी गीत गाए मन,मस्त मगन हो जाए,हर कोई खो जाए जब,सावन की बहार छाएl सावन का ये मौसम…
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*********************************************************************** होने को है भोर,धीरे-धीरे तिमिर जा रहापकड़ रात की डोर।अंगड़ाई लेती-सी,धरा उठी है जागदिनकर भी गतिमान हुए,पहन के पीली पाग।लदपद अमराई में,कोयल कूक रही हैशीतल मंद पवन,इठलाती…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************************************** करता हूँ प्रातःनमन,सूर्योदय अरुणाभ।रोगमुक्त मानव जगत,भू श्यामल नीलाभll सादर दूँ श्रद्धा सुमन,शौर्यवीर बलिदान।प्राणों को अर्पित किया,भारत माँ सम्मानll नमन करूँ माँ कोख को,जना महान्…
राकेश सैनजालंधर(पंजाब)***************************************************************** रूस में साम्यवाद के अंत के बाद दुनिया ने कितनी राहत की साँस ली,उसकी कल्पना वही पीढ़ी कर सकती है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में…
डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** कुशीनगर की यात्रा केवल भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल का भ्रमण नहीं, बल्कि जन्म और मृत्यु के बीच जीवन यात्रा के उद्देश्य और अभीष्ट…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************************** अरे चीन तू समझ रहा कि ये खाला का बाड़ा है ?जिस दिन अपनी फिरी खोपड़ी,तेरा समझ कबाड़ा है। ये मत समझ तू ६२ है जो…
आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** नीर नयन से बहते मेरे,झड़ी लगी ज्यों सावन की।ऐसा लगता है प्रिय मुझको,बीते घड़ी सुहावन की। प्रियतम अब तो आ भी जाओ,दिल में है अरमान भरे।क्यों…