कुल पृष्ठ दर्शन : 197

बची नहीं आत्मीयता

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************

नहीं रहेगा आपस में,
मेल-जोल इंसानों में
तो कहां से जिंदा रहेगी,
इंसानियत अब दिलों में।
रिश्ते-नाते भी अब,
मात्र नाम के रह गए
न आना,न जाना घर पर,
बस दूर से ही नमस्कारll

जब दूरियां बनाकर ही,
सभी को रहना पड़ेगा
तो कहां से भाईचारा,
दिलों में जिंदा बचेगा।
जिसके कारण समाज का,
विघटन निश्चित ही होगा
और एकाकी जीवन अब,
सभी को जीना पड़ेगाll

उजड़ गई बस्तियाँ,
कोरोना के चक्कर में
बची नहीं आत्मीयता,
एक-दूसरे के दिलों में।
सभी को एक ही बात,
सभी लोग समझा रहे
बना कर दूरियां रहो,

सब हिल-मिल करll

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply