कुसुमलता
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** 'कुसुमलता' नाम था उसका,पूरी सोसायटी में कोई ऐसा नहीं था, जिसे उसका नाम न पता हो।वो थी ही ऐसी, साफ-सुथरे कपड़े पहनती, सबका यथायोग्य आदर करती, सब…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** 'कुसुमलता' नाम था उसका,पूरी सोसायटी में कोई ऐसा नहीं था, जिसे उसका नाम न पता हो।वो थी ही ऐसी, साफ-सुथरे कपड़े पहनती, सबका यथायोग्य आदर करती, सब…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** अधजल गगरी छलकत जाय प्रणय,मिलन की आस में जीवन की रवानी। कागज की कश्ती बारिश का पानी,वो यादें बचपन की सुहानी। सुनाती जब नानी और…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष.... जल रही धरती,ज़लज़ला आ रहाप्रकृति का यह तांडव,मन घबरा रहा। साँस लेने के लिए जरूरी हवा,वह भी दूषित व…
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* पेड़ और पानी से भरपूर था,घरौंदा डालियों पर झूलता थासभी पक्षी मस्ती मचाते थे,पेड़ पर पींगे लगाते थे। जाने किस दुश्मन का साया,प्यारे जंगल पर छाया…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष... इंसान,बड़ा विद्वानकब समझेगा धरा ?जब विलुप्तप्रकृति। कुदरत,कम वापरोस्वार्थ छोड़ दो,मिटी तोसर्वनाश। पर्यावरणबड़ी गिरावटसमय है चेतो,रोना पड़ेगाभविष्य। चेतावनी,समझ जाइएफिर कौन बोलेगा…
बैंकॉक (थाईलैंड)। राजधानी बैंकाक में 'अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य सम्मेलन' में मंडला (मप्र) की लेखिका श्रीमती दीप्ति खरे को अंतरराष्ट्रीय योगदान हेतु 'गौतम बुद्ध इंटरनेशनल अवॉर्ड २०२५' से सम्मानित किया गया।…
लखनऊ (उप्र)। उत्तर प्रदेश के राज्यकर्मियों, सेवानिवृत्त राज्यकर्मियों एवं अहिन्दी भाषा-भाषी प्रदेशों केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यकर्मी लेखकों को उनकी पुस्तकों पर पुरस्कृत किया जाना है। इस योजना के अन्तर्गत…
भोपाल (मप्र)। नन्दीश्वर जिनालय ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी को गीतकार मनोज जैन 'मधुर' ने अपना बाल कविता संग्रह 'बच्चे होते फूल से' भेंट किया। यह श्री जैन की पहली…
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** बात पते की हे जन ! जानो,नशा नशीला, मारक मानो हैबे-पल बे-मौत बुलावा,क्या है शान ? प्रतिपल छलावा। धीमा जहर, जीवन बुझाता,घनेरी यंत्रणा, अधम तृष्णाकैसी…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मानव जीवन था नज़र बंद,पक्षी-पौधे थे पूर्ण स्वछंदपर्यावरण हुआ स्वच्छ मंद,नहरों-नदियों में अंतर्द्वंद। दृष्टिगत हुई नदियाँ गहरी,पक्षी स्वयं समझे उड़नपरीदुनिया इंद्रधनुषी रही खड़ी,खुशहाली कर्फ्यू की…