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पुस्तक ज्ञान का सागर

मानसी मित्तल
बुलंदशहर(उत्तरप्रदेश)
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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

पुस्तक है ज्ञान का सागर,
कर देता जीवन को अमृत
वेद-पुराणों और ग्रंथों से,
सबका हो जाता है मंथन।

अंतस मन में यदि हो जिज्ञासा,
यही जीवन का आधार कहाता
नित-नित नए ज्ञान कराता,
भाग्य को सम्पूर्ण बनाता।

गुरु से मिलता पुस्तक का ज्ञान,
सारे जग का करते कल्याण
अनपढ़ नहीं,वो बने विद्वान
इससे बढ़ती सबकी शान।

पुस्तक होती संग-सहेली,
बातें हैं इसकी अलबेली
हर भाषा की है हमझोली,
ज्ञान की ले के चलती टोली।

पुस्तक से तुम कर लो प्यार,
इसमें है ज्ञान भंडार
जीवन का बस यही है सार,
हर प्रश्न का मिले जबाब।

पुस्तक का करना सम्मान,
ढेरों मिलेंगे इससे ज्ञान।
पूर्ण होंगे सबके काम,
तभी बनेंगे सब विद्वान॥

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