एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की…

0 Comments

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से अध्याय-६ करती माँ आगाह सदा यों, बेटी अब तू हुई सयानी रखना फूँक-फूँक पग आगे, नाजुक होती बहुत जवानी। समझ न पाती माँ…

0 Comments

ऐसी होली मनाईए…

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* जरा अपने अहंकार को जलाईए, इस बार ऐसी ही होली मनाईए। सोचिए,राग-द्वेष गर जल जाएंगे, सच में रंग फागुन में ऎसे खिलाईए। रखा क्या है…

0 Comments

होली की गंध..

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* एक मादक-सी गंध है होली में, बैठी हूँ,कुछ रंग लिए टोली में। मन में है उल्लास तेरी बस याद, चढ़ी बैठी हूँ साँझ की डोली…

0 Comments

….तो समझ लेना होली है

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** सियासत की शतरंज से बाहर निकलकर, बादशाह,वजीर और प्यादे सब एक ही अंदाज में नज़र आए, तो समझ लेना होली है। पड़ोसी घूरता है इस…

0 Comments

बेटी है शान

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** राग है,साज है, हमको तुम पर नाज हैl गीत हो,ग़ज़ल हो, तुम ही जीवन संगीत होl तेरी खिल-खिलाती हँसी, देती है रोज नया जीवनl…

0 Comments

२०५० की होली

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** एक दिन स्कूल का प्रोजेक्ट करते-करते, बेटे ने पूछा- "पापा ये रंग क्या होते हैं ? कहाँ मिलते हैं ?" मैं जो वाट्सएप पर, अपनी…

0 Comments

होली का त्यौहार

गोपाल कौशल  नागदा (मध्यप्रदेश) *********************************************************** गुलाल की बौछार, पिचकारी की धार। गुझिया की मिठास, रिश्तों में भरे प्यारll होलिका का संहार, जीते प्रहलाद कुमार। बुराई का होता अंत, कहे होली…

0 Comments

देख नज़ारा होली का

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* पहले ही थे गाल गुलाबी, रंग चढ़ गया होली का। साजन ने मारी पिचकारी, निखर गया रंग चोली का। यौवन पर हुआ देहरी के,…

0 Comments

मेरी अभिलाषा

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** माँ अगर मैं पक्षी होती दुनियाभर की सैर कराती, अच्छे-अच्छे फल तोड़ लाती खूब मजे से तुम्हें खिलाती। शोर गुल नहीं मिलता मुझको ऊपर से उड़…

0 Comments