….तो समझ लेना होली है

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** सियासत की शतरंज से बाहर निकलकर, बादशाह,वजीर और प्यादे सब एक ही अंदाज में नज़र आए, तो समझ लेना होली है। पड़ोसी घूरता है इस…

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बेटी है शान

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** राग है,साज है, हमको तुम पर नाज हैl गीत हो,ग़ज़ल हो, तुम ही जीवन संगीत होl तेरी खिल-खिलाती हँसी, देती है रोज नया जीवनl…

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२०५० की होली

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** एक दिन स्कूल का प्रोजेक्ट करते-करते, बेटे ने पूछा- "पापा ये रंग क्या होते हैं ? कहाँ मिलते हैं ?" मैं जो वाट्सएप पर, अपनी…

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होली का त्यौहार

गोपाल कौशल  नागदा (मध्यप्रदेश) *********************************************************** गुलाल की बौछार, पिचकारी की धार। गुझिया की मिठास, रिश्तों में भरे प्यारll होलिका का संहार, जीते प्रहलाद कुमार। बुराई का होता अंत, कहे होली…

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देख नज़ारा होली का

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* पहले ही थे गाल गुलाबी, रंग चढ़ गया होली का। साजन ने मारी पिचकारी, निखर गया रंग चोली का। यौवन पर हुआ देहरी के,…

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मेरी अभिलाषा

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** माँ अगर मैं पक्षी होती दुनियाभर की सैर कराती, अच्छे-अच्छे फल तोड़ लाती खूब मजे से तुम्हें खिलाती। शोर गुल नहीं मिलता मुझको ऊपर से उड़…

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आयी होली

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* रंग-रँगीली, आयी होली चुन्नू आओ, आओ मुन्नीl भर-भर लाओ तुम पिचकारी, रंगों की बौछार से कर दो पीली धरती नीला अम्बरl तुम हो गिनी कितनी…

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होली में

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** कोई भी बुरा काम ना हो,बस प्यार ही प्यार हो होली में, नजर नजरिया बदलकर रखना अपनत्व हो बोली में। शुभ आगमन हो…

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होली है

शम्भूप्रसाद भट्ट `स्नेहिल’ पौड़ी(उत्तराखंड) ************************************************************** फाल्गुन प्यारा आया रे,कि खेलते होली हैं बृज की, क्योंकि बसंत बहार है। बृज की जो होली कृष्ण ने खेली, रास रची लीला सभी गोपी…

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कैसे खेलूं फाग

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ फाग आया,मचले मन उमंग, तन में सागर उमड़े,धड़कन हुई तरंग कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग...l सपनों में सजते,अरमानों के रंग, कर लूं…

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