मायने ही बदले

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** इस रंग बदलतीदुनिया मेंआज आदमी भी,स्वार्थपरता के रहतेगिरगिट की तरह,पल-पलबदल रहा है रंग। माना परिवर्तनप्रकृति का नियम है,पर आज आदमीछोड़ कर,अपने पूर्वजों केसंस्कारों की धरोहर,अपना रहा हैआधुनिकता…

0 Comments

राग मल्हार

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* राग मल्हार छिड़ा,सावन की गुजरियाबरसे छम-छम है बदरिया,धरती ने ओढी़ हरी चुनरकिसलय पे दमके मोतीदेखो जी सांवरिया। नाचे ये लख सावन बूँदें,मोरनी भई बावरियासोंधी माटी…

0 Comments

नफरतें दरकिनार करते रहो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* खास का इंतिजार करते रहो।कुल ज़माने से प्यार करते रहो। जिस तरह हो बुहार करते रहो।दूर रस्तों से खार करते रहो। फैसला हाथ में…

0 Comments

स्वागतम् अभिनन्दनम्

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** दुर्दीन पीड़ अवसादित मन,दुर्गम राहें बढ़ पायी हैं।जो धीर-वीर संयम साहस,द्रौपदी सबल बन पायी हैं॥ अछूत वर्ग आदिवासी कुल,कुलदीप बनी मुस्कायी है।संघर्ष मूर्ति बाधक…

0 Comments

जग में कितने जीवन…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* जग में कितने जीवन, करते मन के खेल,जीवन में प्रभु रचते, साँँस-समय के मेलअपने कर्मों का मन, रखता नहीं खयाल,दूजों के कर्मों पे उठते…

0 Comments

पावस ऋतु आई

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** विगत ग्रीष्म पावस ऋतु आई, चारों ओर फुहार।रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी, बरसे जल की धार॥ गरज-गरज कर बादल बरसे, चमके बिजली तेज।प्यासी धरती प्यास बुझाए, बिछी सुमन…

0 Comments

श्याम-वियोगिनी गोपियाँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* घन श्याम अजिर में बरस रहे, सखि री! घनश्याम नहीं आए।अम्बर में शम्बर गरज रहे, चपला चमके जी घबराए॥ दूरी को सहना है मुश्किल,खो गए…

0 Comments

सेवानिवृत्ति…आगाज

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* सफलता यूँ ही नहीं मिल जाती है,प्रसिद्धि यूँ ही नहीं मिल जाती हैकठिन परीक्षा से गुजरना होता है,अपने बल पर भरोसा करना होता है। कई मुश्किलें…

0 Comments

नीली छतरी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नीली छतरी-सा,खुला आसमानपंछियों का कलरव,समेट लियाअपने आगोश में।सूर्य की पहली किरण,बादलों को चीर करधरती पर आती,धरती पर ऊर्जासमाहित हो जाती।सूरज और चाँद,बिखेरते रहे रोशनीआकाश और धरती परये…

0 Comments

संवेदना खो गई

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** अरे भाई,न जाने इस भूपटल पर,क्यों आज संवेदनाएं खो गई है ?विकल-व्यथित है बच्चा-बच्चा,समूची मानवता क्यों रो रही है ? मानव-मानस में सिर्फ स्पर्धाएं रह गई,सारा…

0 Comments